*चार दिवसीय 108 कुण्डीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ एवं संस्कार महोत्सव की हुई पूर्णाहुति*
*आयोजन में रही महत्वपूर्ण उपलब्धियां**
राजेश डामर थांदला
शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन में थांदला के दशहरे मैदान पर दिनांक 17 जनवरी से 20 जनवरी तक 108 कुंडीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ एवं संस्कार महोत्सव का आयोजन विधिविधान के साथ पूर्ण हुआ आयोजन में शांतिकुंज हरिद्वार की टोली के द्वारा प्रतिदिन सु मधुर भजनों प्रस्तुतियां दी गई प्रमुख आचार्य पंडित सुनील जी शर्मा के द्वारा अमृतवाणी के साथ यज्ञ में आहुतियां दिलवाई गई आयोजन में पूरे जिले के विभिन्न क्षेत्रों के श्रद्धालुओं ने 108 कुंडीय महायज्ञ के महाकुंभ में आहुतियां दी शांतिकुंज हरिद्वार से आए प्रमुख आचार्य सुनील जी शर्मा के द्वारा गायत्री महामंत्र की गुरु दीक्षा भी दिलवाई गई साथ ही विभिन्न प्रकार के संस्कारों को भी विधि विधान से पूर्ण करवाया गया आयोजन की पूर्णाहुति पर पंचाल समाज व नायक समाज के द्वारा शांतिकुंज हरिद्वार की टोली का शाल श्रीफल देकर सम्मान भी किया गया वहीं स्थानीय गायत्री परिवार समिति के द्वारा भी शांतिकुंज हरिद्वार की टोली का सम्मान किया गया
*निम्न उपलब्धियां आयोजन के निमित रही*
यज्ञ के निमित 5000 मंत्र लेखन पुस्तिका आर 6 लाख मंत्र लेखन का कार्य भी आयोजन से पूर्व करवाया गया
उन लिखी कपियों को यज्ञ शाला में मंच पर स्थापित किया
1970 साधकों ने गायत्री मंत्र गुरु दीक्षा ग्रहण की
45000 का साहित्य प्रसाद के रूप में आधे मूल्य पर उपलब्ध कराया गया ।
प्रत्येक साधक ने गुरु दीक्षा के रूप में प्रति दिन 3 माला जप एवं १ घंटा समयदान करने का प्रण किया
कई साधकों ने दुर्व्यसनो की एक एक बुराई को भी त्यागा
प्रति माह अपनी कमाई का एक अंश समाज के सद्कार्यों में लगने हेतु साधकों ने प्रण किया
5000 दीपो के द्वारा दीपयज्ञ भी करवाए गया जो थांदला क्षेत्र का ऐतिहासिक दीपयज्ञ बना व साथ ही भाव से आहुतियां भी डाली गई, विश्व कल्याण की कामना की गई
3200 कलशों की विशाल कलश यात्रा निकली गई
वही यज्ञाचार्य पंडित सुनीलजी शर्मा ने
गायत्री माता को इस युग की शक्ति एवं पूज्य गुरुदेव को प्रज्ञा अवतार प्रमाण सहित बताया, सतयुग का अवतार, मनुष्य में देवत्व एवं धरती पर स्वर्ग का अवतरण, 2026 में प्रत्यक आप सभी देखेंगे । टोली नायक सुनीलजी शर्मा द्वारा पुनस्वन्न 12, विद्यारंभ 310, जनेऊ संस्कार 1330 संपन्न कराए ।
सभी 5 स्टाल पर गुरुजी माताजी के साहित्य भी कम पड़ गए ।