प्रेम ईश्वर का रूप है जहां अहंकार होता है वहां ईश्वर नहीं रहते है- सुश्री वैष्णवी भट्ट*

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प्रेम ईश्वर का रूप है जहां अहंकार होता है वहां ईश्वर नहीं रहते है- सुश्री वैष्णवी भट्ट*

 *महारास काम - वासना पर विजय पाने का रास है।* 

 *प्रेम ईश्वर का रूप है जहां अहंकार होता है वहां ईश्वर नहीं रहते है- सुश्री वैष्णवी भट्ट* 

 *महारास और फाग उत्सव में भक्तों ने गरबे और फूलों की होली खेल उत्सव मनाया।*  


(मनोज पुरौहित)


 *पेटलावद।* ‘‘कर के इशारों बुलाइ गई रे, बरसाने की छोरी राधा गोरी गोरी‘‘* जैसे पदो के साथ महारास और फाग उत्सव श्री राधा रसामृत कथा के तृतीय दिवस पूरे दिन उत्सव के साथ मनाया गया। पहले महारास के पदों पर भक्तों ने गरबा और नृत्य करते हुए भक्ति रस का आनंद लिया और वहीं फाग उत्सव में फूलों की होली खेलते हुए फाग गीतों पर फाग उत्सव मनाया। एक साथ दो उत्सव का आनंद भक्तों ने लिया।गरबों और नृत्य के माध्यम से भक्तों ने भगवान की भक्ति कर उत्सव का आनंद लिया। प्रथम बार हो रही राधा रसामृत कथा के सभी प्रसंगों में कुछ नया अनुभव करते हुए भक्तगण इन प्रसंगों का आनंद उठा रहे है।


 *महारास में काम-वासना पर विजय मिलती है* 


कथा प्रसंग में कथा प्रवक्ता सुश्री वैष्णवी भट्ट ने कहा कि महारास में ठाकुर जी की छवि काम-वासना का भी मर्दन करने जैसी है।महारास की लीला में काम-वासना का प्रवेश नहीं हो सकता है। महारास की लीला काम-वासना की लीला नहीं है यह तो काम-वासना पर विजय पाने की लीला है। प्रेम पथ में मै नहीं आना चाहिए।   प्रेम की विलक्षणता देखों इसमें सबकुछ छुट जाता है। प्रेम मार्ग में अंतिम अंहकार "मै " भी छूट जाता है।


 *प्रेम में अहंकार नहीं होता है।*  

सुश्री वैष्णवी भट्ट ने कहा कि महारास में गोपियों को अहंकार और ईष्या आई तो भगवान अंर्तध्यान हो गये। इसी प्रकार मनुष्य के मन में जब अहंकार और ईष्या आएगी तो भगवान वहां नहीं रहेगें।प्रेम में अहंकार का प्रवेश नहीं है।जब गोपियों को अपने अहंकार और ईष्या का अहसास हुआ तो महारास में गोपियों ने मिलकर गोपी गीत गाया। एक स्वर एक रस में गाया इस गीत के प्रभाव से प्रकृति और जड चेतन सब रो पडे। गोपी गीत सुन कर भगवान कृष्ण प्रकट हुए।महारास का आनंद लेने के लिए महादेव भी वृंदावन पहुंचे। भगवान कृष्ण के साथ सैकडों गोपियों के साथ चांदनी रात में महारास हुआ। जिसमें समस्त रस सभी भाव उमडते है उसी भाव का नाम प्रेम है। सभी मनुष्य में प्रेम समाया हुआ। प्रेम के बिना कोई भी मनुष्य नहीं है। प्रेम भगवान का ही रूप है।



 *फूलों की होली खेल फाग उत्सव मनाया।* 


 *‘‘डारो डारो री रंग डालो बनवारी पर‘‘*  जैसे भजनों के साथ फाग उत्सव प्रारंभ हुआ जो की फूलों की होली खेलते हुए  *‘‘काली कमली ने ऐसा रंग डाला की रंग कोई चढता नहीं‘‘* जैसे भजनों पर जा कर फाग उत्सव पूर्ण हुआ।जहां भक्तों ने भगवान को फूलों की होली खिलाई और खूब फूलों से होली खेली। फाग उत्सव में मुख्य रूप से झाबुआ के गोवर्धन नाथ जी की हवेली से आए पद गायक रमेश त्रिवेदी और उनकी टीम ने पद गा कर सुनाए और भक्तों को मंत्र मुग्ध कर दिया। आज के महाभिषेक का लाभ जीवन राठौड सारंगी और महेंद्र सिंह ठाकुर ने लिया। वहीं महाप्रसादी का लाभ प्रीतम सेठीया ने लिया।

 



 

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