*राधा रानी और भगवान कृष्ण परात्पर ब्रह्म और आत्मा है।*
*वृंदावन के कण कण में राधा कृष्ण समाये हुए है दोनो एक ही है- सुश्री वैष्णवी भट्ट*
*कथा के प्रथम दिवस राधा रानी का प्राकट्य उत्सव मनाया गया*
(मनोज पुरौहित)
*पेटलावद।* *‘‘किशोरी जी की कृपा से जो होय सो होय‘‘* राधा रानी जी के चरित्र वर्णन करना एक जिव्हा से कहना मुश्किल है। एक बालक की तोतली बानी से अपनी बात कहने जैसा ही राधाजी की कथा कहने का प्रयास है। हमें सखी भाव में ही कथा सुनना होगी। यह दिव्य कथा है जिसका लाभ हर कोई नहीं ले सकता है।श्री कृष्ण स्वयं परात्पर ब्रह्म और राधा रानी उनकी आत्मा है।इसलिए वेदों में ब्रह्म को आत्माराम कहते है क्योंकी ब्रह्म सदा आत्मा में ही रमण करता है।ब्रज में जो भी है सभी कृष्ण है वृंदावन के कण कण में कृष्ण ही समाया हुआ है। श्री राधा रसामृत कथा के प्रथम दिवस कथा प्रवक्ता सुश्री वैष्णवी भट्ट ने कथा भाव को रखते हुए कही।
कथा के शुभारंभ में कथा पौथी का पूजन भक्तों के द्वारा किया गया।
*वास्तविक प्रेम तो अनुभव का विषय है।*
राधा रानी जी की कथा किसी पुस्तक पर आधारीत नहीं है यह भाव पर आधारीत है। यह प्रेम का विषय है। यह ऐसा है जैसे किसी गूंगे व्यक्ति को गुड खिलाओं और उसका वर्णन करने का कहो। प्रेम का वर्णन नहीं हो सकता। यह मुख से बताने की बात नहीं है यह तो भाव का विषय है। और इसे ससांरीक प्रेम न समझे। प्रेम तो अनुभव का विषय है। प्रेम और ब्रह्म एक है प्रेम ब्रह्म से भी उंचा होता है । प्रेम के लिए तो ठाकुर जी अवतार लेते है। राक्षसों को वो कैसे भी मार सकते है। ठाकुर जी दिव्य प्रेम के लिए अवतार लेते है। तप,तपस्या और ज्ञान सभी प्रेम से पिछे है। प्रेम प्राप्ती के लिए ठाकुर जी गोपीयों के इशारों पर नाचते है यह उनकी लीला है।
*राधा रानी प्रकट भयी धूम मची आज बरसाने में।*
कथा प्रसंग के माध्यम से राधा रानी जी का जन्म की कथा सुनाई जिसका सजीव चित्रण भी किय गया। राधा रानी के जन्म पर भक्तों ने नाचते गाते हुए उत्सव मनाया। भगवान कृष्ण का जन्म अंधियारे पक्ष में हुआ मानों सारे जग के अंधकार को पी कर भगवान का जन्म हुआ।राधा रानी का जन्म उजियारे पक्ष में हुआ। साथ ही कथा प्रसंग में उन्होंने राधा रानी और भगवान कृष्ण के मिलन और दो दिनों तक कैसे राधा रानी ने आंखे नहीं खोली इस बारे में विस्तार से बताया।
*आल्हादीनी शक्ति है राधा रानी।*
किशोरी जी आल्हादीनी शक्ति है जो की आनंद को प्रदान करती है जो की वास्तवीक आनंद प्रदान करती है संसार का जो मजा है उसे आनंद नहीं माना जाये।ब्रज की महिमा कौन गा सकता है। जिसकी रज को स्वयं ब्रह्म चखने वाला है।कथा के विश्राम पर महाआरती का आयोजन किया गया। जिसके पश्चात सभी भक्तों को महाप्रसादी वितरण की गई। कथा प्रतिदिन दोपहर 12.15 बजे से 3.30 बजे तक चल रही है। कथा की पूर्णाहुति 10 नवम्बर को होगी।