शांति आश्रम नर-नारायण मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव का भव्य आयोजन सम्पन्न
,श्रद्धालुओं ने लिया धर्मलाभ" महाआरती के साथ
महाप्रसादी सम्पन्न
मनोज उपाध्याय
थांदला. नगर में स्थित प्राचीन एवं श्रद्धा के केन्द्र शांति आश्रम नर-नारायण मंदिर का नवनिर्माण कार्य मेंढ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज द्वारा पूर्ण कर भक्ति भाव के साथ संपन्न किया गया। इस पुनर्निर्माण के उपलक्ष्य में भगवान नर-नारायण की प्राण-प्रतिष्ठा, मंदिर शिखर, कीर्ति स्तंभ की स्थापना एवं भगवान को छप्पन भोग लगाकर भव्य तीन दिवसीय धार्मिक आयोजन विधिपूर्वक संपन्न हुआ।
पूरे महोत्सव की पूजा-अर्चना का नेतृत्व विद्वान पंडित द्वारिका प्रसाद शर्मा ने किया, जिनके सान्निध्य में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ यज्ञ, हवन और अभिषेक जैसे धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न हुए। मुख्य यजमान के रूप में संगीता विश्वास सोनी, देवेश सोनी एवं बबलू सोनी ने श्रद्धा भाव से भाग लिया और तीनों दिनों तक पूजा व यज्ञ का लाभ प्राप्त किया।
,नर नारायण भगवान को लगाया छप्पन भोग,,,
प्राचीन मंदिर नारायण भगवान के प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई स्वर्णकार समाज द्वारा आरती से पूर्व छप्पन भोग लगा कर महाआरती की गई
महोत्सव के अंतिम दिन की पूर्णाहुति विशेष रूप से पीपल खूंटा के संत महंत दयाराम दास जी महाराज, शांति आश्रम महंत सुखरामदास जी महाराज द्वारा की गई। उन्होंने अपने आशीर्वचन में धर्म की शक्ति, समाज की एकता और मंदिर की सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डालते हुए सभी श्रद्धालुओं को आशीष प्रदान किया।
इस पावन अवसर पर मध्य प्रदेश शासन की महिला एवं बाल विकास मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया तथा वरिष्ठ जनप्रतिनिधि कलसिंह भाबर विशेष रूप से उपस्थित रहे। दोनों अतिथियों ने मंदिर में महाआरती में भाग लेकर समाज के इस धार्मिक आयोजन की सराहना की।
, ,,समाज की सहभागिता:,
मेड क्षत्रिय स्वर्णकार समाज के वरिष्ठ सदस्य नटवर सोनी, राजीव सोनी, चंचल सोनी, सुनील सोनी, नीरज सोनी, मुकेश सोनी, संतोष सोनी, मनोज सोनी, अमित सोनी सहित अनेक समाजजन आयोजन की प्रत्येक गतिविधि में सक्रिय रूप से संलग्न रहे। इनके अलावा अशोक अरोरा, सुनील पनंदा, बंटी डामर, राजेश वसुनिया, दिलीप कटारा जैसे प्रतिष्ठित नागरिकों की उपस्थिति ने आयोजन की गरिमा को और भी बढ़ाया
गुजरात एवं राजस्थान से भी स्वर्णकार समाज के अनेक श्रद्धालु इस महोत्सव में सम्मिलित होकर धार्मिक लाभ प्राप्त करने पहुंचे, जिससे आयोजन का स्वरूप क्षेत्रीय से बढ़कर अंतर-राज्यीय बन गया।
,,,आध्यात्मिक वातावरण:,,,,
मंदिर परिसर को फूलों, रंगोलियों और रोशनी से सजाया गया था। प्रतिदिन होने वाली आरती, भजन संध्या, मंत्रोच्चार और यज्ञ के चलते सम्पूर्ण वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। श्रद्धालु सुबह से ही मंदिर में दर्शन और पूजा के लिए उमड़ते रहे। महिलाओं, युवाओं और बच्चों की सहभागिता ने आयोजन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार किया।
,,,महाप्रसादी और सेवा कार्य,,,,
महोत्सव के समापन अवसर पर आयोजित महाआरती के पश्चात विशाल महाप्रसादी का आयोजन किया गया। समाज की महिलाओं ने भंडारे की व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रसादी में विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजन परोसे गए, जिन्हें हजारों श्रद्धालुओं ने श्रद्धा से ग्रहण किया।
धर्म, संस्कृति और समाज की एकजुटता का संदेश:
इस आयोजन ने न केवल धार्मिक भावनाओं को जागृत किया, बल्कि सामाजिक एकता और परंपरा के संरक्षण का भी अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। समाजजनों ने यह संकल्प लिया कि भविष्य में भी ऐसे आयोजन निरंतर होते रहें ताकि भावी पीढ़ी को भी धर्म और संस्कृति का ज्ञान प्राप्त हो सके।
प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के सफल समापन पर आयोजकों ने समस्त श्रद्धालुओं, यजमानों, अतिथियों, प्रशासनिक अधिकारियों और सहयोगियों का आभार प्रकट किया। यह आयोजन नगर के धार्मिक इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में सदैव स्मरणीय रहेगा।