*न वैकुंठ में, न योग में भगवान विराजते है भक्ती में-सुश्री वैष्णवी भट्ट*
*प्रथम बार पेटलावद की बेटी ने सुनाई सात दिवसीय श्रीमद् भागवत महापुराण।*
*ब्राम्हण समाज ने अपनी बेटी का किया सम्मान।*
मनोज उपाध्याय ,मनोज पुरोहित
*पेटलावद।* कलयुग में भगवान भागवत के माध्यम से अपने भक्तों के हृदय में भक्ति के रूप में विराजीत रहते है। न वे वैकुंठ में वास करते है न योगीयों के योग में वे केवल सच्ची श्रद्वा और भक्ति करने वाले भक्तों के हृदय में निवास करते है। भागवत का एक एक शब्द ही भगवान कृष्ण है। जो की हमें सभी दुखों से तार कर अपने जीवन को किस तरह जीना चाहिए यह सिखाती है। उक्त बात प्रथम बार भागवत कथा का वाचन कर रही पेटलावद की बेटी सुश्री वैष्णवी भट्ट ने सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के विश्राम पर कहीं।
इस मौके पर उन्होंने भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता का जीवंत चित्रण करते हुए मित्रता का महत्व को प्रतिपादित किया। वहीं अन्य प्रसंगों के माध्यम से भगवान के गुणों का वर्णन और उन्हें धारण करने की प्रेरणा दी।
कथा के यजमान आयदान परमार और परमार परिवार के द्वारा कथा की पूर्णाहुति पर भागवत पोथी की पूजा अर्चना करते हुए व्यासपीठ पर विराजीत सुश्री वैष्णवी भट्ट की भी पूजा कर उन्हें सम्मानित किया।
*ब्राम्हण समाज ने किया सम्मान*
इस मौके पर ब्राम्हण समाज के द्वारा प्रथम बार समाज की बेटी द्वारा भागवत करने पर उसका सम्मान किया गया। इस मौके पर ब्राम्हण समाज महिला मंडल अध्यक्ष संगीता त्रिवेदी, रंजना रामावत, मीना भट्ट, भावना भट्ट,राधिका भट्ट,जिज्ञासा भट्ट आदि ने व्यासपीठ पर सुश्री वैष्णवी भट्ट का स्मृति चिन्ह और साल श्रीफल भेंट कर सम्मान किया। इस मौके पर समाज की अध्यक्ष संगीता त्रिवेदी ने कहा कि यह हमारे लिये गौरव की बात है कि नगर की पहली बेटी है जिसने व्यासपीठ पर बैठ कर धर्म की गंगा बहाई।
महाआरती का लाभ आयदान परमार के द्वारा लिया गया। इसके पश्चात प्रसादी का वितरण किया गया।