निजी हॉस्पिटल में चल रहा अवैध गर्भपात का खेल
भ्रष्ट अधिकारियों ने पूरा मामला किया सेट
क्या गरीब आदिवासियों का शोषण जारी रहेगा
थांदला,, आदिवासी बाहुल्य जिले में आज भी स्वास्थ्य शिक्षा के नाम पर अशिक्षित गरीब आदिवासियों का शोषण किया जा रहा है जिले के भ्रष्ट अधिकारि शासन की योजनाओं को धूमिल करते हुए चंद् सिक्कों में अपना जमीर बेचते नजर आ रहे हैं।
ऐसा ही वाकया आज नगर में मां हॉस्पिटल में देखने को मिला दिनांक 2 अप्रैल को एक नव युवती मां हॉस्पिटल में एडमिट होती जिसका इलाज के नाम पर 4 से 5 माह का गर्भपात कर दिया जाता है जब परिजन को पता चलता है तो हॉस्पिटल प्रशासन द्वारा बताया जाता है कि युवती के साथ एक व्यक्ति इलाज हेतु आए थे गर्भपात के बाद इलाज करवाया गयाआज युवती की हालत बिगड़ी तो उसे आनन, फानन में स्थानीय सिविल हॉस्पिटल में रेफर कर दिया गया जब बात मीडिया तक पहुंची तो मां हॉस्पिटल के कर्मचारियों ने हॉस्पिटल में एंट्री बंद कर दी और डॉक्टर नदारद हो गए हालत की नजाकत को देखते हुए युवती के परिजन ने स्थानीय पुलिस थाना पर रिपोर्ट दर्ज करनी चाही तो पुलिस प्रशासन द्वारा भी टालमटोल की गई अंत में नगर के मीडिया कर्मी द्वारा दबाव बनाया गया तो स्थानीय स्तर के अधिकारियों ने मां हॉस्पिटल की ओर रुख किया
सर्वप्रथम मीडिया कर्मी द्वारा बीएमओ को खबर की किंतु नवागत बीएमओ ने आने में असमर्थता जाहिर की भारी दबाव के चलते बीएमओ ने आकर औपचारिकता निभाई एवं उनके द्वारा कहा गया कि यहां कोई कार्यवाही नहीं करना है एसडीएम सर का आदेश है कि फाइल लेकर मेरे चेंबर में आवे तब मिडिकर्मी ने sdm को फोन लगाया sdm का कहना था कि मेंने bmo को कारवाही करने से मना नही किया बल्कि कार्यवाही कर मुझे अवगत करवाने को कहा , अधिकारी एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते नजर आए इसी बीच मुख्य चिकित्सा अधिकारी मां हॉस्पिटल पहुंचे एवं हॉस्पिटल के डॉक्टरों के साथ मीटिंग करने के पश्चात मीडिया कर्मी को बताया गया कि हॉस्पिटल में कोई भी अवैधानिक कार्य नहीं हुआ है एवं युवती का इलाज हॉस्पिटल में ही चल रहा है एवं युवती पूर्णरूपेण स्वस्थ है अब सवाल ये उठता है कि युवती ने जो आरोप हॉस्पिटल प्रशासन पर लगाए हैं क्या वह बेबुनियाद है या फिर इन भ्रष्ट अधिकारियों ने अपना ताना-बाना बुनकर सब सेट कर लिया है बहरहाल जो भी हो पर आदिवासी बाहुल्य जिले में आज भी आदिवासियों का शोषण जारी है चंद् सिक्कों की खनक के साथ इनका ईमान भी गिरवी रखकर यह अधिकारी अपनी ईमानदारी का परिचय देते हैं धिक्कार है ऐसे अधिकारियों पर किसी दिन किसी गरीब की आह लगी तो इनकी बर्बादी को कोई नहीं रोक पाएगा।