रिश्वतखोर महिला प्राचार्य को कोर्ट ने सुनाई सजा ओर दिया अर्थदंड,भेजा जेल*

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रिश्वतखोर महिला प्राचार्य को कोर्ट ने सुनाई सजा ओर दिया अर्थदंड,भेजा जेल*

 *रिश्वतखोर महिला प्राचार्य को कोर्ट ने सुनाई सजा ओर दिया अर्थदंड,भेजा जेल*

*बिलों के हस्ताक्षर के बदले में 40% कमिशन अवैध रूप से मांग करने पर आरोपी शकुंतला शंखवार, तत्काेलिन श्रीमति शकुंतला शंखवार, प्राचार्य शा.उ.मा.वि. झकनावदा को हुए 04-04 वर्ष का सश्रम कारावास*

*लोकायुक्त ने बनाया था केस, लोक अभियोजन अधिकारी के तर्कों से एडीजे कोर्ट झाबुआ ने दिया निर्णय  फरियादी ने जताया न्याय व्यवस्था में विश्वास*

(मनोज पुरोहित )

*पेटलावद/झाबुआ देश मे करप्शन के मामले लगातार बढ़ते जा रहे है,सरकारी कार्यालयों में आम आदमी का कोई भी काम बिना रिश्वत के होता ही नही है । रिश्वतखोरी पर अंकुश लगाने के लिये लोकायुक्त द्वारा कार्यवाही भी की जाती है  ।

*न्यायालय से आया बड़ा आदेश*

जिले के झकनावदा क्षेत्र में वर्ष 2017 में लोकायुक्त द्वारा कि गयी पर  कार्यवाही माननीय प्रथम अपर सत्र न्या यालय(श्री राजेन्द्र कुमार शर्मा) भ्रष्टाधचार निवारण अधिनियम संशो. 2018  जिला झाबुआ द्वारा दिनांक 04-12-2025 को बड़ा  निर्णय पारित किया है जिसमे   आरोपी शकुंतला पति नंदराम शंखवार तत्काजलीन प्राचार्य, शासकी उच्चातर माध्य्मिक विद्यालय झकनावदा जिला झाबुआ को धारा 7, 13(1)डी सहपठित धारा 13(2) भ्रष्टाकचार निवारण अधिनियम में 4-4 वर्ष सश्रम कारावास एवं 5000-5000/- रूपये अर्थदण्डा से दण्डित किया ।

*ये है पूरा मामल*


श्री झबरसिंह मुवेल, उप निदेशक अभियोजन,  जिला झाबुआ ने बताया कि दिनांक 26.10.2017 को आवेदक पूनमचंद्र कोठारी जनशिक्षक/अध्यापक शा.उ.मा.वि. झकनावदा संकुल झकनावदा तहसील पेटलावद जिला झाबुआ ने विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त कार्यालय इंदौर में उपस्थित होकर एक लिखित शिकायत आवेदन पत्र पुलिस अधीक्षक के समक्ष इस आशय का पेश किया था कि दिसम्बर 2014 से सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्राचार्य शा.उ.मा.वि. झकनावदा संकुल झकनावदा तहसील पेटलावद के द्वारा आवेदक को संकुल का जनशिक्षक (सचिव) नियुक्त कर दिया था, जिसके अंतर्गत शासन की ओर से आने वाले कार्यक्रम आदि को अपने संकुल के स्कूलों में कियान्वयन कराने का कार्य आवेदक के द्वारा किया जाता है। उक्त कार्यों में खर्च होने वाली राशि शासन द्वारा आकस्मिक निधि से जनशिक्षक एवं जनशिक्षा केन्द्र झकनावदा के बैंक खाता जो सचिव एवं प्राचार्य / अध्यक्ष का संयुक्त रूप से होता है, उस बैंक खाते में प्रतिवर्ष 20,000/- रूपये जमा होते हैं, इस फंड से उक्त कार्यों में जो भी क्रय व खर्चा होता है, उसका पैमेंट दुकानदार द्वारा दिये गये बिल प्रस्तुत करने उपरांत चैक के माध्यम से उनके खातों में जमा हो जाता है एवं छोटे-छोटे खर्चे जैसे चाय, पानी, नाश्ता आदि के खर्चे आवेदक द्वारा ही कर दिये जाते हैं, जिसके बिल आवेदक द्वारा भुगतान कर प्राचार्य द्वारा अग्रेषित करने पर आवेदक के खाते में चैक द्वारा जमा हो जाते हैं। आवेदक के पूर्व सचिव पद पर श्री महेंद्र शर्मा पदस्थ थे, उनसे आवेदक द्वारा दिनांक 05.09.2016 से उक्त सचिव पद का चार्ज लिया गया था। चार्ज लेने उपरांत आवेदक को ज्ञात हुआ कि दिनांक 16.07.2014 से दुकानदारों के लंबित भुगतान नहीं हुये थे 

आवेदक ने महेंद्र शर्मा से चर्चा की तो उसने बताया कि श्रीमती शकुंतला शंखवार, प्राचार्य शा.उ.मा.वि. झकनावदा द्वारा लंबित बिलों के भुगतान के लिये साईन करने के लिये कमिशन मांग रही है। पुराने करीब 65000/- रूपये के बिलों के भुगतान के लिये हस्ताक्षर करने के संबंध में प्राचार्य से आवेदक ने चर्चा की तो उनके द्वारा कमिशन की मांग की गई और कहा गया कि बिल पास कर देती हूँ, बिल की राशि खाते में आने के बाद मुझे मेरा कमिशन दे जाना तो आवेदक ने प्राचार्य श्रीमती शकुंतला को 20,000/- रूपये दे दिये थे। पिछले दो वर्षों के 20,000-20,000/- रूपये के बिलों का भुगतान जो आवेदक द्वारा व्यवहार में दुकानदार को कर दिया गया था। दिनांक 15.08.2017 को दोपहर करीब 1 बजे आवेदक ने प्राचार्य से बिलों के भुगतान के संबंध में चर्चा की तो उनके द्वारा 40,000/- रूपये की राशि का भुगतान करने के लिये चर्चा की तो उनके द्वारा 40,000/- रूपये की राशि का भुगतान करने के लिये उक्त राशि का 50 प्रतिशत जो कि 20000/- रूपये होता है की मांग की जा रही थी, इस पर आवेदक ने प्राचार्य से कहा कि बिल पास होकर चैक लग जायेंगे तो वह दुकानदार से पैसे लाकर कमिशन दे देगा। आवेदक के निवेदन पर प्राचार्य ने दिनांक 20.08.2017 को 20000/- रूपये का चैक व दिनांक 03.10.2017 को 20,000/- रूपये का चैक जारी कर दिये जो दुकानदार के खाते में पैसा जमा होने पर प्राचार्य ने आवेदक के ऊपर दवाब बनाया और कहा कि मैंने तुम्हारे कहने पर चैक जारी कर दिये थे अब तुम मुझे मेरा हिस्सा लाकर दो। 

*करी रिश्वत कि मांग*

इस प्रकार प्राचार्य ने 40000/- रूपये के बिल पास कर दिये हैं, उन्हें पास करने के एवज में पारितोषण / रिश्वत राशि स्वरूप आवेदक से 20,000/- रूपये की मांग की जा रही है। आवेदक प्राचार्य शकुंतला को रिश्वत नहीं देना चाहता था, बल्कि उसे रिश्वत लेते हुये रंगे हाथों पकड़वाना चाहता था

इस पर निरीक्षक आशा सेजकर ने आवेदक से उसके शिकायत आवेदन पत्र के संबंध में आवश्यक चर्चा कर पंचनामा बनाकर शासकीय  वाईस रिकॉर्डर मय मेमोरी कार्ड के संचालन एवं संधारण का तरीका समझाकर आवेदक के साथ छायासाक्षी के रूप में आरक्षक पंकज तिवारी को भेजा था, जिस पर आवेदक द्वारा दिनांक 01.11.2017 को पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस पेटलावद में उपस्थित होकर द्वितीय आवेदन पत्र के साथ सोनी कंपनी का वाईस रिकॉर्डर मय मेमोरी कार्ड के प्रस्तुत कर बताया था कि दिनांक 27.10.2017 को आरक्षक पंकज तिवारी के साथ विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय पेटलावद गया तो वहां पर प्राचार्य श्रीमती शकुंतला नहीं मिली, अभियुक्त का मिटिंग में जाना पता चलने पर आवेदक ने झकनावदा जाकर अपने संकुल के काम निपटाये फिर शाम को पेटलावद आकर अभियुक्त का पता किया तो अभियुक्त नहीं आई थी, इस पर आवेदक ने फोन लगाकर पूछा तो अभियुक्त ने घर पर होना बताते हुये आवेदक को घर पर ही आने का कहा। आवेदक, अभियुक्त के घर उमरकोट जाकर उससे मिलकर 40,000/- रूपये के बिलों के संबंध में बात की तो अभियुक्त ने कहा कि जो बिल पास हो गये हैं, उनका 40 प्रतिशत मुझे देना और 60 प्रतिशत तुम रख लेना। 40,000/-रूपये का 40 प्रतिशत 16,000/- रूपये होता है, परंतु आवेदक द्वारा पूर्व में 17500/- रूपये के बजाये प्राचार्य को 20,000/- रूपये दिये जा चुके थे तो 16000/- रूपये की राशि में से 25000/- रूपये कम करते हुये प्राचार्य ने 13500/- रूपये लेना तय कर उक्त राशि खीमा अथवा बैरागी को देने की बात कही और यह भी कहा कि अगर पेटलावद आओ तो वहीं दे देना। आवेदक ने अभियुक्त द्वारा मांगी गई उक्त रिश्वत राशि की व्यवस्था करने के लिये अभियुक्त से दो-चार दिन का समय मांगा तो अभियुक्त ने सहमति देते हुये व्यवस्था हो जाने पर रिश्वत राशि लेकर आवेदक को बुलाया था आरोपिया ने आवेदक से रिश्वत राशि 13,500/- रूपये अपने हाथ में लेकर अपने स्लेटी रंग के हेण्ड बैग में रख लिये थे, जिसे निरीक्षक आशा सेजकर के निर्देश पर पंचसाक्षी के द्वारा आरोपिया के स्लेटी रंग के हेण्ड बैग में से रिश्वत राशि निकालकर गिनी एवं रिश्वत राशि के नोटों के नम्बरों का मिलान प्रारंभिक पंचनामें में लिखे गये नोटों के नम्बरों से किया गया, तत्पश्चात निरीक्षक आशा सेजकर द्वारा रिश्वत राशि विधिवत जप्त की गई। इस प्रकार आरोपिया को आवेदक से 13,500/-रूपये रिश्वत राशि लेते हुये रंगे हाथों पकड़ा गया। रिश्वत राशि आरोपिया के आधिपत्य से जप्त की गई। रिश्वत राशि के बरामदगी के पश्चात पंचसाक्षी के दोनों हाथ की अंगुलियों को सोडियम कार्बोनेट पावडर के घोल में डुबोकर धुलवाये जाने पर घोल का रंग गुलाबी हो गया। आरोपी के स्लेटी रंग के हेण्ड बैग की जेब जहां से रिश्वत राशि बरामद हुई थी। जिस पर से पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त कार्यालय इंदौर द्वारा कार्यवाही  की गई। संपूर्ण कार्यवाही कर अनुसंधान पूर्ण कर अभियोग पत्र माननीय विशेष न्यायालय में प्रस्तुत किया। 

विचारण के दौरान अभियोजन ने मामले को प्रमाणित करने लिए कुल 8 साक्षीयों की साक्ष्यक न्यायालय में प्रस्तुत करते हुए मौखिक एवं दस्तावेज साक्ष्य के द्वारा अपराध साबित किया गया । जिससे अभियोजन कि महत्वपूर्ण साक्ष्य पर विश्वास कर माननीय न्यायालय द्वारा मामले को प्रमाणित मानकर दण्डादेश का आदेश पारित किया गया। आरोपी को जेल वारंट बनाकर जेल भेजा गया। 

*लोक अभियोजन अधिकारी के तर्कों से कोर्ट ने दिया निर्णय*

इस प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी श्री महेश पटेल जिला लोक अभियोजन अधिकारी  एवं श्री राजेन्द्रपालसिंह अलावा विशेष लोक अभियोजक(एडीपीओ)  द्वारा की गई ।

*जागा न्याय व्यवस्था में विश्वास*

इस फेसले का स्वागत करते हुये *फरियादी पूनमचंद कोठारी* झकनावदा ने बताया कि  निर्णय विलम्ब से आया है लेकिन इस निर्णय से भारतीय न्याय व्यवस्था में मेरा ओर आमजन का विश्वास और बड़ा है।

 



 

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