*पाप कर्म का फल भोगना पड़ेगा, मानव जीवन मे सद्कर्म करना ही मुक्ति का मार्ग......साध्वी श्री ज्योतिषमतिजी

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*पाप कर्म का फल भोगना पड़ेगा, मानव जीवन मे सद्कर्म करना ही मुक्ति का मार्ग......साध्वी श्री ज्योतिषमतिजी

 *पाप कर्म का फल भोगना पड़ेगा, मानव जीवन मे सद्कर्म करना ही मुक्ति का मार्ग......साध्वी श्री ज्योतिषमतिजी*

(मनोज पुरोहित)

पेटलावद।आजकल फैशन के पाप बहुत बढ़ रहे है केक काटना बर्थडे मनाना और शादी आदि की एनिवर्सरी मानना आदि सब दिखावे ज्यादा हो रहे है। इसके साथ ही शादियों में मांसाहारी व्यंजन के नाम से शाकाहारी व्यंजन परोसने और सलाद में कई जानवरों के आकार देकर टेबल सजाना यह सभी फैशनेबल पाप ही है।  जैनियों को ही नहीं हर शाकाहारी को इनसे बचना चाहिए।

उक्त बातें पर्व पर्युषण  के छठे दिन साध्वी श्री ज्योतिषमतिजी ने धर्म सभा में कही। आपने फरमाया कि

बढ़ती भौतिकता पाश्चात्य की ओर धकेल रही है। महावीर के नाम की कमाई घट रही है । अधिकतर चीनी व अन्य भोजन के स्टाल की सामग्री पेट मे में कचरा डालने जैसा कृत्य है।


साध्वी जी ने कहा कि बढ़ती सुविधा समाधि घटा रही है। स्पर्धा बढ़ रही है स्तर घट रहा है । दूरदर्शन बढ़ रहा है और आत्म दर्शन घट रहा है। आत्मा शीतल बर्फ के समान है पर यह फैशनेबल पाप बर्फ में आग लगाने का कार्य कर रहे हैं।

पाप उदय में आयेंगे तो स्वयं को भोगना पड़ेगा

साध्वी श्री प्रमिलाजी ने कहा सुख हो या दुख हर स्थिति में पाप में भीरू बनो। नींबू मिर्ची लटकाने से सुख शांति या समृद्धि नहीं मिलेगी। पापों से दूर रहकर ही सुख शांति मिलेगी। संसार के सारे सुखों में दुख छिपा है और घर परिवार के लिए किए गए पाप उदय में आएंगे तो स्वयं को ही भोगना पड़ेगा कोई हिस्सेदारी नहीं बनेगा। सुख देने से ही सुख मिलेंगे यह दृढ़ विश्वास मन में कर लो। पर्व पर्युषण के अंतिम पल जैसे-जैसे पास आते जा रहे हैं कई गुप्त तपस्वी भी प्रकट होते जा रहे हैं। प्रथम दौर में 60 के लगभग तैले के नाम सामने आए हैं। चंदनमल जी चाणोदिया ने आज अग्रिम 25 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण  किये। आज की प्रभावना संतोष कुमार माणक लाल मुणत परिवार की ओर से वितरित की गई।

 महासती पू के सानिध्य में आज की तपस्या

 24 उपवास :  चन्दनमल चाणोदिया ,6 उपवास:  मांगीलाल कोठारी, कू वंशिका पोरवाल , श्रीमती झमुबेन विनोदजी पटवा , श्रीमती मानकुंवर जयंतीलालजी मेहता , श्रीमती नेहा निलेशजी मेहता श्रीमती ममता दिलीपजी लोढ़ा, श्रीमती सोनम स्वप्निलजी भंडारी , 2 उपवास:  जयंतीलालजी मेहता , श्रीमती भावना आकाशजी सोलंकी (अणु चक्र तप) इसके साथ पर्यूषण पर्व प्रारंभ में 41 से अधिक तेले की तपस्या श्री संघ में हुई।

सिद्धितप तपस्वी नयन पारस जी भंडारी

श्रीमती ममता जयंतीलालजी मोदी ( पूर्ण) ,प्रतर तप तपस्वी श्रीमती अनीता नरेंद्रजी मोदी, मेरूतप तपस्वी  श्रीमती संगीता अजयजी मेहता, श्रीमती श्रुति आभासजी सोलंकी, श्रीमती वर्षा अनूपजी मेहता, श्रीमती मोना नवीनजी मुरार इसके साथ अनेक गुप्त तपस्या श्री संघ में गतिमान हैं।

 



 

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