माता पिता को पूजने वाले देश मे कलयुगी बेटे ने किया मानवता को शर्मसार*जिम्मेदारो की भी बेरुखी*
*दुर्गावाहिनी फिर बनी सहारा, बुजुर्ग महिला का साथ निभाया*
(मनोज पुरोहित)
पेटलावद।मातृदेवो भव ,पितृदेवोभव का यह सनातनी नारा इस लिए दिया जाता है क्योकि हमारी संस्क्रति में माता पिता को दर भगवान का दर्जा दिया जाता है । माता पिता को पूजने वाले देश मे कभी कभी ऐसी घटनाएं भी सामने आती है जो हमारी अंतरात्मा को झकझोर देती है ।
*इंसानियत ओर मानवता को शर्मसार वाली घटना*
झाबुआ जिले के पेटलावद में एक ऐसी घटना सामने आई जिसने मानवता ओर इंसानियत को शर्मसार कर दिया। कथित रूप से एक बुजुर्ग महिला, जिसे उसका ही बेटा अस्पताल में भर्ती करवाकर भूल गया, इलाज पूरा होने के बाद अस्पताल प्रशासन ने भी उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया। भूखी-प्यासी यह माँ पेटलावद के श्रद्धांजलि चौक पर बेसहारा पड़ी रही, लेकिन न उसे लेने बेटा आया, न अस्पताल ने कोई सहारा दिया।
*कलयुगी बेटे की बेरुख़ी और अस्पताल की निर्दयता आयी सामने*
बुजुर्ग महिला से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक महीने पहले उसे इलाज के लिए पेटलावद सरकारी अस्पताल में उसके बेटे ने भर्ती कराया था। उसका बेटा उसे अस्पताल में छोड़कर चला गया और फिर कभी वापस नहीं आया। अस्पताल ने जब देखा कि इलाज पूरा हो चुका है, तो उन्होंने उसे अस्पताल से निकाल दिया। लेकिन सबसे बड़ा झटका तब लगा जब महिला ने रोते हुए बताया— "मैं अस्पताल में भी भूखी रही, वहां के कर्मचारी मुझसे चिल्लाकर बात करते थे, डांटते थे, 3 दिनों से मुझे खाना भी नहीं दिया।"
*दुर्गावाहिनी ने निभाया फर्ज*
जब यह दर्दनाक घटना कुछ संवेदनशील नागरिकों तक पहुँची, तो उन्होंने तुरंत दुर्गा वाहिनी की जिला अध्यक्ष श्रीमती संगीता त्रिवेदी से संपर्क किया। संगीता त्रिवेदी और उनकी टीम ने तुरंत मौके पर जाकर महिला की हालत देखी। महिला पूरी तरह से कमजोर हो चुकी थी, भूख और तकलीफ से उसकी आँखों में सिर्फ बेबसी थी। संगीता त्रिवेदी ने महिला को अस्पताल में फिर से भर्ती करवाने का सुझाव दिया, लेकिन महिला ने रोते हुए मना कर दिया वहाँ मत भेजो, वहाँ मेरे साथ अच्छा बर्ताव नहीं होता।"
*की मानवता की मिशाल पेश*
यह सुनकर दुर्गा वाहिनी की टीम ने तुरंत पुलिस से संपर्क किया। पुलिस ने महिला बाल विकास कार्यालय से बात करने को कहा, जहाँ से सुझाव आया कि महिला को झाबुआ भेज दिया जाए। लेकिन समस्या ये थी कि वहां के निराश्रित आश्रम में केवल पुरुष रहते थे, कोई महिला नहीं रहती थी...
*इंसानियत की जीत जब बुजुर्ग माँ को मिला नया सहारा*
संवेदनशीलता का परिचय देते हुए संगीता त्रिवेदी ने इंदौर स्थित निराश्रित आश्रम से संपर्क किया। वहाँ से समाजसेवी जय्यु महाराज ने पहल करते हुए तुरंत अपनी टीम को पेटलावद भेजा। लेकिन आश्रम की औपचारिकता के लिए स्थानीय पार्षद से पत्र की आवश्यकता थी। संगीता त्रिवेदी ने पत्र की व्यवस्था करवाई और फिर जब जय्यु महाराज खुद पेटलावद पहुँचे, तो उन्होंने महिला को माँ कहकर प्रणाम किया और अपने साथ इंदौर ले गए।
*इन्होंने निभाई जिमेदारी ,दिया सहयोग*
संगीता त्रिवेदी, शिल्पा वर्मा,पंकज वर्मा ,देवेश जी त्रिवेदी, मीरा लछेटा, मुकेश जी परमार, रविराज जी पुरोहित, राहुल जी मंडलोई, मीरा लछेटा, सुरेखा चौहान, सुनीता पाटीदार, धडोपकर दीदी, पूर्वा मंडलोई, नीति चौहान, दीक्षा लछेटा, प्रियांशी कुमावत ने सहयोग किया वही जय्यु महाराज, इंदौर निराश्रित आश्रम के द्वारा विशेष रूप से सहयोग किया गया।