पेटलावद विस्फोट की बरसी पर दर्द भरी खामोशी, मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में नहीं हुई चर्चा

Breaking Ticker

पेटलावद विस्फोट की बरसी पर दर्द भरी खामोशी, मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में नहीं हुई चर्चा

 पेटलावद विस्फोट की बरसी पर दर्द भरी खामोशी, मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में नहीं हुई चर्चा


पेटलावद, 12 सितंबर।


12 सितंबर... यह तारीख पेटलावद के लोगों के लिए कभी न भरने वाला ज़ख्म है।



राजेश डामर 

12 सितंबर 2015 की सुबह जबरदस्त धमाके ने नगर को हिला दिया था। एक ही पल में 85 से ज़्यादा मासूम लोगों की सांसें थम गईं, सैकड़ों परिवार उजड़ गए और पेटलावद की गलियां मातम से भर उठीं। यह घटना पूरे देश की संवेदनाओं को झकझोर देने वाली थी।




आज वही 12 सितंबर,दस साल बाद, प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पेटलावद आए। यहां लाड़ली बहना योजना की 28वीं किस्त एक क्लिक में बहनों के खातों में ट्रांसफर की गई। कार्यक्रम वृहद और भव्य अवश्य रहा, परंतु इस दिन की मूल पीड़ा कहीं खो गई।


मुख्यमंत्री ने लगभग 40 मिनट तक योजनाओं पर भाषण दिया, लेकिन न तो पेटलावद विस्फोट का जिक्र हुआ, न शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई और न ही पीड़ित परिवारों के लिए कोई घोषणा हुई। विडंबना यह रही कि जिस कार्यक्रम में बहनों के खातों में राशि डाली गई, उसी कार्यक्रम में विस्फोट पीड़ित परिवारों की बहनों को पूरी तरह भुला दिया गया।




लोगों को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री कम से कम इस दर्दनाक हादसे में अपने भाइयों को खो चुकी उन बहनों के घावों पर मरहम रखेंगे, जिनकी जिंदगी आज भी अधूरी है। लेकिन इस पहलू पर मंच से एक शब्द भी न निकलना लोगों के दिलों को और आहत कर गया।


स्थानीय नागरिकों का सवाल है कि यदि मुख्यमंत्री को इस तारीख का महत्व ज्ञात नहीं रहा, तो मंच पर मौजूद जनप्रतिनिधि विशेषकर स्थानीय जनप्रतिनिधि और अधिकारी क्यों खामोश रहे? क्या वे भी इस त्रासदी को भुला बैठे?

चर्चा यह भी रही कि पीड़ित परिवारों की ओर से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया, लेकिन वह ज्ञापन भी मंच पर ही दबकर रह गया।

पेटलावद के नागरिकों का कहना है कि “जिन्होंने अपने अपनों को खोया, उनकी बहनें आज भी हर 12 सितंबर को आंसुओं से भाई को याद करती हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री का इस दर्द पर चुप रहना और उन्हें भूल जाना सबसे बड़ी विडंबना है।”

आज का दिन पीड़ित परिवारों के लिए फिर एक गहरा आघात बनकर आया। उम्मीदें थीं कि प्रदेश का मुखिया संवेदनाओं को समझेगा, लेकिन अफसोस, 12 सितंबर की यह बरसी फिर से खामोशी और उपेक्षा में बीत गई।


पेटलावद विस्फोट की पीड़ा आज भी जिन्दा है... और शायद हर 12 सितंबर को बहनों की आंखें फिर उसी दर्द से भर उठेंगी।

 



 

मध्यप्रदेश़ के सभी जिलों में संवाददाता की आवश्यकता है इच्छुक व्यक्ति ही संपर्क करें 7697811001,7869289177 मध्यप्रदेश के सभी जिलों में संवाददाता की आवश्यकता है इच्छुक व्यक्ति ही संपर्क करें 7697811001,7869289177
"
"