*आधार कार्ड सेंटरो पर लग रही लंबी कतारें, दूरदराज से ग्रामीण पहुँच रहे आधार कार्ड बनवाने*
*आधार कार्ड की अनिवार्यता ओर इंसानों की मजबूरी, आधार कार्ड बना जीने का आधार*
*क्यो एक बार मे ही सही से नहीं बन पाता कार्ड,?बड़ा सवाल*
*लाइन में कट रही इंसानों की जिंदगी, देखो जीने के लिये मर गया कितना आदमी*
(मनोज पुरोहित)
पेटलावद । हर सरकारी के साथ अब निजी कामकाज में भी प्रयोग में आने वाले महत्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में आधार कार्ड अनिवार्य हो चुका है और अब आधार कार्ड हमारी पहचान बन चुका है ,जीने का मुख्य आधार आधार कार्ड बन चुका है ,ओर इस पहचान को बनाए रखने के लिये आम आदमी को कड़ी मशक्कत करना पड़ रही है ।
*जीने का आधार बना आधार कार्ड ,हर जगह हुआ अनिवार्य*
इन दिनों पेटलावद तहसील मुख्यायल के सभी आधार कार्ड सेंटरों पर आधार कार्ड बनाने के लिये ग्रामीणों की भीड़ उमड़ रही है क्योंकि आधार कार्ड अनिवार्य है चाहे शिक्षा के क्षेत्र में हो ,बैंकिंग ,केवायसी, पेन्शन, गेस सब्सिडी, लोक सेवा केंद्र ,टिकिट बुकिंग, पोस्ट ऑफिस, सोसायटी ,किसान क्रडिट कार्ड, या अन्य कोई भी कार्य हो आधार कार्ड की आवश्यकता हर जगह है ।
*शेक्षणिक सत्र की हुई शुरुआत*दूरदराज से पहुच रहे अल सुबह ग्रामीण*
तहासिल मुख्यालय के आधार कार्ड सेंटरों पर जो यह भीड़ देखी जा रही है ,यह कोई हाट बाजार की भीड़ नहीं है यह भीड़ आधार कार्ड बनाने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी है क्योंकि शैक्षणिक सत्र चालू हो चुका है पालकों को अपने बच्चों के लिए स्कूलों में जो एडमिशन करवाना है । इसके चलते ग्रामीण लोग बड़ी संख्या में अपने बच्चों को लेकर आधार कार्ड बनाने के लिये 10 से 30 किमी की लंबी यात्रा कर पहुच रहे है ।
*लग रही कतारे*
ग्रामीणों की लंबी लंबी लाइन सुबह 6- 7 बजे से ही लगना शुरू हो जाती है यदि इनका फिर भी आधार कार्ड नहीं बनता है तो यही ग्रामीणों के द्वारा अपनी जूते चप्पलों की रात में ही लाइन लगाकर अगले दिन के लिए छोड़ जाते हैं । वही सेंटर वाले भी व्यवस्था बनाये रखने हेतु टोकन सिस्टम अपना रहे है।
*बार बार करना पड़ता है सुधार,आखिर एक बार मे ही समस्या खत्म क्यो नही होती*
अक्सर आधार कार्डो में क़ई गलतिया हो रही किसी का नाम गलत तो किसी की जन्म दिनांक या पता गलत हो जाता है, किसी के कार्ड में स्पेलिंग मिस्टेक हो जाती है । जिसको सुधारने ओर अपडेट करने के लिये भी आमजन को बार बार सेंटर के चक्कर लगाने को मजबूर होना पड़ता है ,जिसके चलते भी सेंटर पर भीड़ बढ़ जाती है । इसका जवाब किसी के पास नही या तो जो कार्ड बना रहे वे गलती कर रहे या जान बूझकर हो रहा ?या फिर ऐसा तो नही की आधार के एप्प, कम्पनी ,सरकार ओर निजी लोगों को कोई फायदा हो रहा हो और जनता परेशान होती रहे।?
*लाइन में कट रही इंसानों की जिंदगी ,देखो जीने के लिये मर गया कितना आदमी*
देखना यह है कि इन ग्रामीणों की समस्याओं को सुनने वाले कोई भी जन प्रतिनिधि व शासकीय अधिकारी जनता की इन प्रमुख समस्याओं का क्या हल निकालते है । या *आधार कार्ड बन गया जीने का आधार* के लिये लंबी कतारें लगाने को आम आदमी मजबूर होता रहेगा। वो कहते है न कि *लाइन में कट रही है इंसानों की जिंदगी ,देखो जीने के लिए मर गया कितना आदमी*