*संघ के वर्ग में मातृहस्त भोजन में समरसता की मिठास के साथ परिवार के अमृततुल्य क्षणों का अनुभव*
*206 परिवारों के 480 सदस्यों के साथ 400 स्वयंसेवकों ने एक साथ भोजन किया।*
*पंच परिवर्तन के माध्यम से हिंदू समाज को एक करना लक्ष्य- श्री रघुवीरसिंह।*
*पंथ संचलन में कदमताल करते हुए स्वयंसेवकों के समूह ने सभी को आकर्षित किया।*
(मनोज पुरोहित)
पेटलावद।*मातृहस्त भोजन की अनूठी पहल कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघ शिक्षा वर्ग(व्यवसायी) में 206 परिवारों ने मिलकर 400 संघ के अधिकारी, प्रशिक्षक, शिक्षक व प्रबंधकों को एक खुले मैदान में बैठ कर परिवारसह भोजन करवाया। यह दृश्य अपने आप में अनूठा रहा जिसने सामाजिक समरसता का बडा उदाहरण प्रस्तुत किया।
मातृहस्त भोजन की परिकल्पना में 15 दिन से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रशिक्षकों को घर जैसा माहौल प्रदान करना और सामाजिक समरसता के भाव को दृढ करना रहा। जिसमें वर्ग स्थल पर खुले मैदान में 206 ब्लाक बनाकर हर ब्लाक में एक एक परिवार और उनके साथ दो स्वयंसेवक साथ बैठकर भोजन किया। जब यह संपूर्ण दृश्य जिसने भी देखा उसने इस पर प्रसन्नता जाहिर की।
रविवार को शाम 6:30 बजे से नगर के 206 परिवार वर्गस्थल प
चते है।उन्हें उनके क्रम के अनुसार ब्लाक नम्बर दिया जाता है। वहीं प्रशिक्षकों और शिक्षकों को भी क्रम से ब्लाक नम्बर देकर नियत स्थान तय किया जाता है। इस मातृहस्त भोजन में परिवार अपने साथ घर से ही बैठने के लिए दरी से लेकर भोजन की सभी आवश्यक सामग्री को लेकर आते है और सामूहिक रूप से परिवारसह भोजन करवाते है। जिसमें परिवारजन भी साथ में भोजन करते है। 206 परिवार के 480 सदस्य व वर्ग के 400 स्वयंसेवक एक साथ एक स्थान पर बैठ कर परिवारसह भोजन का आनंद लेते है।
*पर्यावरण सुरक्षा के लिए पौधे भेंट किये*
मातृहस्त भोजन के पश्चात स्वयं सेवकों के द्वारा प्रतिएक परिवार को पर्यावरण की सुरक्षा के लिए दो- दो पौधे प्रदान किये गये और परिवारों से अनुरोध किया गया कि आप इन पौधो का रोपण कर इन्हें वृक्ष बनाये और अपनी आने वाली पीढी को प्राकृतिक उपहार प्रदान करें।
*पंच परिवर्तन का संकल्प*
सामाजिक समरसमता, कुटुम्ब प्रबोधन, पर्यावरण, स्वदेशी और नागरिक अनुशासन इन पंच परिवर्तन पर संघ अपने शताब्दी वर्ष में कार्य कर रहा है। जिसमें सभी हिंदू भाई बहनों को जातीवाद से उपर उठ कर सामाजिक समरसता के भाव जागृत करने की प्रेरणा दी जा रही है। जिसके तहत सभी में समानता का भाव जागृत हो कर्म अलग अलग हो सकते है पर सभी हिंदू एक है। उक्त बात मातृहस्त भोजन के लिए आए 206 परिवारों को बौद्धिक देते हुए मालवा प्रान्त सह कार्यवाह रघुवीरसिंह जी सिसौदिया ने कहीं। इस अवसर पर रतलाम विभाग सह कार्यवाह और वर्ग प्रबंध पालक आकाश चौहान भी उपस्थित रहे।
*भारतीय संस्कृति में परिवार प्रधान है*
श्री सिसौदिया ने कहा कि हमें सबसे पहले कुटुम्ब प्रबोधन की आवश्यकता है। हमारी पुरातन परंपरा परिवार के एक साथ भोजन करने, बच्चों में भगवान के प्रति श्रद्वा भाव और परिवार में एक जुटता लाना होगी। पश्चिमी संस्कृति व्यक्ति प्रधान है पर हमारी भारतीय संस्कृति परिवार प्रधान है। हम परिवार को महत्व देते है
*स्वदेशी अपनाएं*
श्री सिसौदिया ने आगे कहा कि हमें स्वदेशी की ओर लौटना होगा। हमारे देश को मजबूत करने के लिए हमें स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करना होगा। जिससे हमारे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और हमारे लोग भी मजबूत बनेगें। इसलिए हमें स्वदेशी की ओर ज्यादा ध्यान देना होगा।
*पेड़, पानी और प्लास्टीक पर ध्यान दे*
श्री सिसौदिया ने बताया कि पर्यावरण की सुरक्षा भी हमारी जवाबदारी है। हम कहते है हमारे दादाजी ने यह पेड लगाया था। पर अब यह संस्कृति विलुप्त होती जा रही है। हमें भी आगे आ कर पर्यावरण बचाना होगा। हम तीन ‘‘प‘‘ पर कार्य करना होगा। पेड़, पानी और प्लास्टीक । पौधे लगाना होगें, पानी बचाना होगा और प्लास्टिक बंद करना होगा।
*नागरिक अनुशासन का पालन करें*
अंत में श्री सिसौदिया ने बताया कि नागरिक अनुशासन जरूरी है। जिस प्रकार हम सरकार से अपेक्षा रखते है। इसी प्रकार हमारे कर्तव्य भी होते है। हमें समय पर कर चुकाना, ट्रैफिक नियमों का पालन करना, सरकारी सपंती को नुकसान नहीं पहुंचाना,स्वच्छता का ध्यान रखना आदि बातों में नागरिक अनुशासन लाना होगा, तभी हमारा देश आगे बढेगा।
*पथ संचलन भी निकला*
इसके पूर्व प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे शिक्षार्थीयों के द्वारा पथ संचलन निकाला गया। जिसमें उन्होंने संचलन करते हुए देश भक्तिगीतों और घोष के साथ एक जैसी वेशभूषा व हाथों में दंड लेकर कदम ताल करते हुए चले। पथ संचलन के अनुशासन को देख कर नगर के सभी लोग उससे आकर्षित हुए। पथ संचलन वर्ग स्थल से प्रारंभ होकर मंडी प्रांगण तक पहुंचा और वहां से पुनः वर्ग स्थल पर पहुंचा।