धर्मनगरी पेटलावद में मंदिरों की श्रंखला में जुड़ा ओर एक स्वर्णिम अद्ययाय* *श्री राम मंदिर पर बटुक भैरव ओर माँ कालिका की नवीन मूर्तियों की हुई प्राण प्रतिष्ठा*

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धर्मनगरी पेटलावद में मंदिरों की श्रंखला में जुड़ा ओर एक स्वर्णिम अद्ययाय* *श्री राम मंदिर पर बटुक भैरव ओर माँ कालिका की नवीन मूर्तियों की हुई प्राण प्रतिष्ठा*

 *धर्मनगरी पेटलावद में मंदिरों की श्रंखला में जुड़ा  ओर एक स्वर्णिम अद्ययाय*

*श्री राम मंदिर पर बटुक भैरव ओर माँ कालिका की नवीन मूर्तियों की हुई प्राण प्रतिष्ठा* 

*विधि विधान  ओर वैदिक मंत्रोच्चार से तीन दिवसीय आयोजन सम्प्पन्नन*

(मनोज पूरोहित)

पेटलावद,,,,  धर्म नगरी पेटलावद क्षेत्र में भक्तो की धार्मीक आस्था के चलते क़ई मन्दिर ओर देवालय  है जो न सिर्फ झाबुआ जिले बल्कि सम्पूर्ण मप्र तक प्रसिद्ध है चाहे वह मा भद्रकाली मन्दिर, हो या फिर श्री विश्वमंगलधाम तारखेड़ी, या फिर श्री श्रंगेश्वर महादेव मंदिर  या नन्दन माता मन्दिर। 


*नगर में भी क़ई मन्दिर  भक्तो की आस्था का है केंद्र*.

इसके  अलावा नगर में भी क़ई मन्दिर श्रीनीलकंठेश्वर ,मा अम्बिका, बड़ा रामजी ,श्री तेजाजी मन्दिर ,  श्री गणेशजी मन्दिर, श्री शनिदेव मन्दिर, फूटा मन्दिर  ,साईं मन्दिर,श्री लक्ष्मीनारायण मन्दिर, रामदेवजी मन्दिर सहित चारो दिशाओं में विराजित बाबा बजरंगबली मन्दिर  है जो भक्तों की आस्था का प्रतीक है ।


        *नवीन मूर्तियों की हुई स्थापना*

इन प्रसिद्ध मंदिरों की श्रंखला में नगर के इतिहास में पुनः एक ओर मन्दिर जुड़ गया है । जी हां

 कार्तिक मास की पूर्णिमा सोमवार को नगर के राम मोहल्ला स्थित श्री राम मंदिर पर तीन दिवसीय पूजन पाठ के साथ विधि विधान के साथ बटुक भैरव ओर माँ कालिका की नवीन मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई।


*शिवरात्रि पर हुई थी शिव परिवार की स्थापना*

उल्लेखनीय है कि राम मंदिर पर श्री राम दरबार के साथ ही तेजाजी महाराज, रामदेवजी महाराज, बाबा बजरंगबली , की वर्षो पुरानी मूर्तियो के साथ ही शिवलिंग  भी स्थापित है । जिस पर प्रतिदिन आसपास के रहवासी पूजन पाठ करने ओर जल चढ़ाने  आते है।।  इन्ही भक्तो की मनोकामना ओर मन्दिर के पुजारी पंडित पीयूष जोशी ने प्रयास करते हुए शिवलिंग के साथ  भगवान श्री गणेश ,नन्दी बाबा, कार्तिकेयजी, माता पार्वती ओर नागदेवता कि नवीन मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई।


*वैदिक मंत्रोच्चार ओर विधि विधान से हुई स्थापना*

पंडित पीयूष जोशी और वैदिक पुराणों के जानकारों ब्राह्मणो ने विधी विधान से भगवान बटुक भैरव ओर माँ कालिका  की जलाधिवास, अन्नवास , सयादीवास आदि की परंपरा का निर्वहन करते हुए  तीन दिवस तक वैदिक मंत्रोच्चार  ओर विधिविधान के साथ पूर्णिमा  पर यज्ञ हवन करते हुए मूर्तियों की स्थापना की गई । 

*महाआरती ओर प्रसादी का लिया लाभ*

पुर्णाहुति के बाद महाआरती उतारकर महाप्रसादी का वितरण किया । इस अवसर  सभी भक्तगण ने प्रसादी ओर धर्म का लाभ लिया।


 



 

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