*तेरापंथ धर्म संघ के 11 वे आचार्य श्री महाश्रमण जी का जन्मोत्सव- पटोत्सव व दीक्षा उत्सव तीनों झकनावदा की पुण्य धरा पर साध्वी श्री पंकज श्री जी के सानिध्य में मनाया जाएगा*
(मनोज पुरोहित)
पेटलावद| शासन के नील गगन पर तेरापंथ धर्म संघ एक ध्रुव तारे की तरह चमक रहा है इस तारागण के गणी युगप्रधान आचार्य जी महाश्रमण जी का त्रिवेणी उत्सव मनाने के मंगल पल मिले हैं मालवा की पावन धरा पर झकनावदा के वासियो को साध्वी श्री पंकज श्री जी के सानिध्य में रविवार 11 मई को आईए सुनिए साध्वी श्री जी से उस महापुरुष के कर्तृत्व-वक्तृत्व व नेतृत्व के जीवन की सफल कहानी जानिए महान महापुरुष महाश्रमण को करुणा के मसीहा गुरु महाश्रमण का जन्म राजस्थान के सरदारशहर की पावन भूमि पर 13 मई 1962 में आप अवतरित हुए आप बचपन से ही दयालु व दयावान पर उपकारी लक्षित होते थे। आप जितने सरल व सहज थे उतने ही आप मेधावी भी थे आपकी मेधा प्रखर थी इसलिए आप अपने स्कूल में अपनी क्लास के हमेशा मॉनिटर रहे आपकी माता
नेमादेवी एंव पिता झुमरमल जी आप जैसे सुपुत्र को पाकर धन्य बन गए आप दूगड़ कुल का गौरव है आप आठ भाई बहनों में सबसे छोटे आप सबके लाडले आपकी माता से मिले संस्कारों से आपका जीवन धर्म की डोर से मंत्री मुनि सुमेरमल जी लाडनूं की पावन पवन से उड़ने लगा मन मुनि जीवन को अंगीकार करने के लिए गणाधिपति गुरुदेव तुलसी की आज्ञा से मंत्री मुनि सुमेरमल जी के कर कमलो से आपने अपनी जन्मभूमि पर 5 मई सन 1974 में दीक्षा ग्रहण की आपने मात्र 12 वर्ष की अवस्था में संयम ग्रहण किया आप मोहन से मुनि मुदित बने आपने मुनि जीवन अंगीकार कर मात्र 40 दिन में जैन ग्रंथ दसमेकालिक कंठस्थ कर लिया आपने अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत प्राकृत भाषाओ पर अपना आधिपत्य स्थापित किया आपके जीवन में वैशाख का महीना विशेष रहा आप हर 12 वर्ष में नई-नई उपलब्धियां प्राप्त कर रहे हैं। आप मोहन से मुनी मुदित बने और ठीक 12 वर्ष पश्चात आप 9 सितंबर 1990 में महाश्रमण के पद पर सुशोभित हुए आपने दो-दो महापुरुषों की मेहर नजर की दौलत को प्राप्त किया गणाधिपति गुरुदेव तुलसी की पारखी नजरो ने आपको महाश्रमण पद पर आसीन किया तो महायोगी प्रेक्षा प्रणेता आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने आपको अपना उत्तराधिकारी के रूप में युवाचार्य के पद पर 14 सितंबर 1997 मे नियुक्त किया आपने विनय और समर्पण से दो-दो महापुरुषों के हृदय को जीतकर जन-जन के कल्याण में अहोनिशी साधना रथ हो गए। सरदारशहर की पुण्य धरा पर आपको तेरापंथ धर्म संघ ने 23 मई सन 2010 को गांधी विद्या मंदिर मे 11 वे अधिष्टा के रूप में आपको अभिववंदना की इस प्रकार आज आपके 64 वें जन्मदिवस एवं 16 वे पटोत्सव पर और 52 वे दीक्षा दिवस पर संपूर्ण संघ उत्सव मना रहा है आपकी अमृतवाणी संपूर्ण मानव जाति को अमृत पिला रही हैं आपने अपने आचार्य काल के 15 वर्षो में जनता को भगवान मानते हुए जनता की सेवा में हर क्षण समर्पित कर दिया आपने तीन देशों की यात्रा की आप तेरापंथ धर्म संघ के प्रथम आचार्य हैं जिन्होंने तीन देशों की नेपाल-भूटान व भारत की यात्रा की आपने अहिंसा यात्रा एवं अणुव्रत यात्रा के द्वारा 23 राज्यों को अपने पावन संदेशों के द्वारा पवित्र बनाया। आप लगभग 60000 किलोमीटर से भी अधिक की अहिंसा यात्रा कर चुके हैं और यह मिशन अभी भी जारी है महाश्रमण जी एक ऐसे महायोगी यायावर है जो दुनिया को तीन वरदान दे रहे हैं नैतिकता सद्भावना एवं नशा मुक्ति "आपके श्री चरणों में योगी, भोगी, राजा, धनी, निर्धन सबको मिलते हैं तीन रत्न की संपदा" आपकी शरण में आकर हर व्यक्ति इहलोक में और परलोक में सुख को प्राप्त करता है। अभिनंदन-अभिनंदन-अभिनंदन संयम महासुमेरु के पावन चरण कमलो में आइए रविवार 11 मई को झकनावदा में त्रिवेणी उत्सव का भव्य नजारा देखिए- देखिए साध्वी श्री पंकज श्री जी के सानिध्य में आचार्य श्री महाश्रमण जी का जन्मोत्सव-पटोत्सव और दीक्षा उत्सव मनाया जाएगा।