*जनजाति विकास मंच पेटलावद ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर बांसुरी वादन कार्यक्रम का किया आयोजन*
*श्री राम और कृष्ण की धरा पर संस्क्रति का पर्व है जन्माष्टमी*
*बासुरी बजाकर दिया प्रेम और सद्भभाव का संदेश*
(मनोज पुरौहित)
पेटलावद। स्थानीय कृषि उपज मंडी पेटलावद में जनजाति विकास मंच द्वारा श्री कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर बांसुरी वादन कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें क्षेत्र से कई बांसुरी वादक सम्मिलित हुए तथा अपनी कला का प्रदर्शन किया।
ज्ञात हो कि पिछले कुछ वर्षों पहले जनजातीय समुदाय में घर-घर बांसुरियों का स्वर खासकर श्रावण और भाद्रपद माह में सुनाई देता था। लेकिन वर्तमान परिदृश्य में यह देखने को कम ही मिलता है।
जनजाति समाज प्रकृति से नजदीक होकर वह पूर्णतः प्राकृतिक जीवन जीता है, विगत समय में वह अपने घर में गाय बैल इत्यादि अधिक संख्या में रखता था, जब ग्वाले चराने जाते थे तो उसे वक्त बांसुरियों का मधुर स्वर जंगलों में सुनाई देता था।
जनजाति विकास मंच जिला कार्यकारिणी सदस्य गौरसिंह कटारा ने कहा कि हमारे जनजाति समाज में अनेकों प्रतिभाएं हैं जो अपने दैनिक जीवन में उसको मनोरंजन के स्वरूप में भी देखा जाता है। हमारे समाज में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है लेकिन वर्तमान की जो पीढ़ी है वह आधुनिकता को महत्व देकर अपनी परंपराओं को नष्ट होता हुआ देख रहा है। श्री कृष्ण भी ग्वाले थे और वह बांसुरी बजाकर अपना जीवन जीते थे। इसीलिए आज जनजाति विकास मंच ने भी जनजाति समाज की जो प्रतिभाएं हैं उनको प्रदर्शित करने का अवसर दिया तथा इस तरह की प्रतिभाओं को पुनः जागृत किया जाए इस उद्देश्य से इस कार्यक्रम को आयोजित किया गया।
तत्पश्चात सुरसिंह मीणा ने मीडिया से बातचीत करते हुए यह बताया कि हमारे समाज में कई ऐसे लोग हैं कि यदि प्रतियोगिता में मौका मिले तो वह निश्चित ही सफलता हासिल करेंगे लेकिन कहीं ना कहीं दुरुस्थ क्षेत्र में होने के कारण उन्हें मौका नहीं मिल पाता है इस तरह की शिक्षा स्कूलों में भी होना चाहिए ताकि आने वाले समय में जो युवा पीढ़ी हैं वह भी इस प्रतिभाओं से रूबरू होकर उन्हें अपनी दैनिक जीवन में शामिल कर सकें।
*इन्होंने बजायी बासुरी*
इस अवसर पर बांसुरी वादकों में गोरसिह कटारा, अक्कु मैड़ा, सुरजी मैड़ा, बाबु डामर, शंभू डामर, कैलाश डामर, सवजी वसुनिया, रमेश वसुनिया राजेश मेडा,एवं जनजाति विकास मंच के अनेकों कार्यकर्ता सम्मिलित हुए।