*गर्भोत्सव संस्कार विधि में 24 कुडिय यज्ञ के साथ 176 माताओं को संस्कारीत किया गया*
*अखिल विश्व गायत्री परिवार ने कि अनूठी, सराहनीय ओर सनातनी परम्परा*
(मनोज पुरोहित)
*पेटलावद।* गर्भोत्सव संस्कार के माध्यम से संस्कारों का बीजारोपण और आने वाले पीढी को संस्कार की शिक्षा देना,हमारी प्राचीनतम धरोहरों में समाहीत है। यहीं से संस्कारों की वेला चालू होती है तो 16 संस्कारों के बाद मनुष्य योनी पुर्ण होती है। गर्भ में जो शिशु है वह जैसा देखता है वैसा बनता है। मां और बच्चें के बीच भावनात्मक संबंध मजबूत करना, गर्भावस्था में बच्चें के संज्ञानात्मक,भावनात्मक और व्यवहारिक विकास को बढावा देना। इस संस्कार के माध्यम से एक ऐसे शिशु का जन्म होता है जो की समाज व राष्ट्र को सही व नई दिशा प्रदान करें। उक्त बात महिला एवं बाल विकास विभाग केबिनेट मंत्री और क्षेत्रीय विधायक सुश्री निर्मला भूरिया ने शनिवार को पेटलावद में अखिल विश्व गायत्री परिवार पेटलावद द्वारा आयोजित गर्भोत्सव संस्कार में मुख्य अतिथि के रूप में कहीं।
कार्यक्रम में 24 कुंडीय यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें 176 गर्भवती माताओं को गर्भोत्सव संस्कार प्रदान किये गये। माताओं को संस्कार की विधि संपन्न करवाने के लिए धार से प्रज्ञा दीदी और उनकी टीम विशेष रूप से उपस्थित रही।इस मौके पर अतिथियों का स्वागत गायत्री परिवार के परिजनों ने किया। इस मौके पर मंच पर विशिष्ट अतिथि मधुलिका शुक्ला,गायत्री परिवार के जिला समन्वयक घनश्याम वैरागी,महिला मंडल जिला समन्वयक श्रीमती नलिनी वैरागी और मुख्य ट्रस्टी कृष्णसिंह राठौर भी उपस्थित रहे।
सुश्री भूरिया ने आगे कहा कि जब से सृष्टि बनी है तब से हमारे भारत में संस्कारों की प्रक्रिया चल रही है।संस्कारों में प्रथम संस्कार गर्भाेत्सव संस्कार है। जिससे गायत्री परिवार का संकल्प आओ गढे संस्कारवान पीढी सफल होता नजर आ रहा है।संस्कारवान बच्चा आयेगा तो वह समाज को भी संस्कारीत करेगा और अपने देश को भी संस्कारीत करेगा। मै स्वयं महिलाओं और बच्चों से जुडे हुए विभाग से हूॅ। गायत्री परिवार के द्वारा जो एक बीज यहां रोपीत किया गया है उसे आगे बढाने का प्रयास करूंगी।
*विशेष मंत्रो और ओषधी से संस्कार करवाया*
गायत्री परिवार के द्वारा विशेष 24 कुंडिय यज्ञ का आयोजन कर 176 माताओं और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मंत्रो और ओषधी का प्रयोग किया। यज्ञ के दरम्यान मंत्रो का जाप हुआ जो की सकारात्मक उर्जा का संचार करते है। इस विधि में गर्भवती माताओं के लिए प्रभु से विशेष प्रार्थना और आहुतियां दी गई।यज्ञ के बाद
गर्भवती महिला को आशीर्वाद दिया गया और प्रसाद के रूप में यज्ञ में उपयोग में आई खीर को गर्भवती माता को दिया गया जो उन्हें दिव्य शक्ति प्रदान करें।इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं को गिलोय,पीपल और बड से बनी ओषधी का अवग्रहण करवाया गया।इसके साथ ही सुंदर गीतीका के माध्यम से सभी को आनंदीत किया गया।
कार्यक्रम का संचालन ट्रस्टी रजनीकांत शुक्ला ने किया और अंत में आभार विधि परमार ने माना।