*72 घंटे के अखंड कामाख्या देवी के यज्ञ के साथ श्रीमद् भागवत और 11 कुंडीय यज्ञ की हुई पूर्णाहुति।*
*साध्वी श्री और महंत सहित सभी का हुआ सम्मान।*
*गंगाजल यात्रा के आयोजन में धर्म का लाभ लिया भक्तों ने।*
(मनोज पुरोहित)
*पेटलावद।।। 08 दिवसीय आयोजन के अंतिम दिन नम आंखो से साध्वी श्री ने भजन प्रस्तुत कर ‘‘हम अयोध्यावासी अपने गांव चले‘‘ पर सभी को भाव विभोर कर दिया। पांडाल का दृश्य करूणामय हो गया।
श्रीमद् भागवत,11 कुंडीय यज्ञ और कामाख्यादेवी 72 घंटे के अखंड यज्ञ की पूर्णाहुति हुई। जिसका लाभ नगर के नागरिकों ने लिया। इस महाआयोजन में नगरवासियों ने बढचढ कर हिस्सा लिया। क्षेत्र के कल्याणार्थ आयोजित इस महानुष्ठान में 8 दिनों तक स्थानीय मेला ग्राउंड में धर्म की गंगा बही। इस आयोजन में कथा का वाचन साध्वी श्री किशोरी प्रिया जी ने किया और उन्होंने सात दिवसीय कथा के माध्यम से भक्तों को भक्ति का महत्व बताया कथा के अंतिम दिन कथा का माहत्म बताया।
*अतिथियों का सम्मान किया।*
आयोजन की पूर्णाहुति पर भक्तों के द्वारा साध्वी श्री और कथा के आयोजन श्री 108 महंत श्री कुंदनदास जी महाराज का सम्मान किया गया। साध्वी श्री और महाराज जी का सम्मान भारतीय पत्रकार संघ,झांसी की रानी मित्र मंडल, राठौड महिला मंडल,वरिष्ठ समाजजनों के द्वारा किया गया। इसके साथ ही अन्यत्र स्थानों से पधारे साधु संतो का स्वागत और सम्मान समिति के द्वारा किया गया। किन्नर कमला बुआजी के द्वारा साध्वी श्री,आयोजक सहित यज्ञ करवाने वाले पंडितों के साथ यज्ञ में भाग लेने वाले यजमानों को वस्त्र भेंट कर सम्मानित किया। समिति के द्वारा आयोजन को सफल बनाने वाले यज्ञ शाला निर्माण, टेंट वाले, लाईट वाले, साउंड वाले और भोजन प्रसादी बनाने वालो सहित समिति में सहयोग करने वाले सदस्यों का भी सम्मान किया।
*यज्ञ की पूर्णाहुति।*
यज्ञ के आचार्य पं.पंकज जी शर्मा के द्वारा वेदमंत्रों के साथ आहुतियां दिलवाई गई। इसके साथ ही 72 घंटे का कामाख्या देवी के हवन में नगर सहित आसपास के श्रद्वालुओं ने बैठ कर धर्म का लाभ लिया। इस प्रकार का आयोजन नगर में प्रथम बार हुआ है।
*गंगाजल यात्रा निकाली।*
पूर्णाहुति पर पंथवारी पूजन कर गंगाजल यात्रा स्थानीय अम्बिका चौक मंदिर से यज्ञ स्थल तक निकाली गई।जिसमें बैंड बाजों के साथ निकली यात्रा में भक्तों ने नाचते गाते किर्तन करते हुए भक्ति रस का आनंद लिया। यात्रा का यज्ञ स्थल पर पहुंचने पर स्वागत किया गया। इसके पश्चात अंतिम दिन की कथा का वाचन प्रारंभ हुआ। यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ महाआरती का आयोजन किया गया। इसके साथ ही हजारों भक्तों ने महाप्रसादी का लाभ लिया।आयोजन की सफलता पर श्री 108 कुंदनदास जी महाराज ने आभार व्यक्त करते हुए इस महानुष्ठान में प्रत्यक्ष,अप्रत्यक्ष, तन,मन और धन से सहयोग प्रदान करने वाले सभी भक्तों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।