तीर्थंकर प्रवचन का सार है सामायिक ...साध्वीश्री

Breaking Ticker

तीर्थंकर प्रवचन का सार है सामायिक ...साध्वीश्री

 *तीर्थंकर प्रवचन का सार है सामायिक ...साध्वीश्री*

*अभिनव सामायिक का हुआ आयोजन*

(मनोज पुरौहित)

पेटलावद।अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के निर्देशन में पेटलावद तेरापंथ युवक परिषद ने जैनों के प्रमुख पर्व पर्युषण महापर्व के तीसरे दिन सामायिक दिवस पर अभिनव सामायिक का आयोजन किया।



सामायिक का महत्वपूर्ण अनुष्ठान जीवन को पोषण प्रदान करता है। सामायिक साधना से समता भाव का विकास होता है। साम्य भाव के अभाव में अशांति जन्म लेती है।


तीर्थँकर प्रवचन का सार है।

उक्त आशय के उदगार श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें अनुशास्ता युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की विदुषी साध्वीश्री उर्मिलाकुमारीजी ने पर्युषण पर्व आराधना के तीसरे दिन सामायिक दिवस पर तेरापंथ भवन में उपस्थित श्रावक-श्रविकाओं के समक्ष व्यक्त किए।



आपने कहा कि सामायिक के अभाव में ना अतीत में कोई वह मोक्ष गया है, ना वर्तमान में न भविष्य में कोई मोक्ष जाएगा।

एक मुहुर्त (48 मिनट )के लिए व्यक्ति 18 पापों का त्याग करके समता भाव में रमण करने का प्रयास करता है। सामायिक के आध्यात्मिक को व्यवहारिक दोनों प्रकार के लाभ मिलते हैं।


अपने घटना प्रसंग के द्वारा सामायिक के व्यावहारिक महत्व को भी प्रस्तुत किया। सामायिक के अभ्यास से इस जन्म में तो व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ मिलता ही है, उसकी पवित्र चेतना का विकास होता है, साथ ही अगले जन्मों पर भी उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

इसलिए यथासंभव प्रतिदिन एक सामायिक का अभ्यास सबको करना चाहिए।

परम पूज्य आचार्य महाश्रमणजी की दृष्टि के अनुसार प्रति शनिवार हर श्रावक-श्राविका को यथासंभव शाम 7 से 8: बजे सामायिक करने का प्रयास करना चाहिए।


साध्वीश्री ने भगवान महावीर के पूर्व भव के 27 भव के वर्णन में नैयसार के सम्यक्तव प्राप्ति के बारे मे व मरीचि के भव का विस्तार से वर्णन किया।


इस अवसर पर साध्वी श्री मृदुलयशाजीजी ने कहा कि यह परम पूज्य गुरुदेव श्री तुलसी की अनूठी देन है कि उन्होंने सामायिक को प्रायोगिक रूप देते हुए अभिनव सामायिक की परिकल्पना प्रस्तुत की।


जिसमें त्रिपदी वंदना, महाप्राण ध्वनि, जप, ध्यान, स्वाध्याय आदि के विभिन्न प्रयोगों से सामायिक को रोचक और मनभावन रूप में प्रस्तुत किया। आपने कहा समता की शीतल सरिता है सामायिक, आत्मसाधना का राजमार्ग है सामायिक। आंतरिक रोगों को मिटाने का अस्पताल है सामायिक, जीवन के अंधकार को हरने वाला वाला प्रकाश पुंज है सामायिक।


परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी द्वारा निर्धारित स्वाध्याय दिवस पर साध्वी श्री ऋतुयशाजी ने कहा जिसके द्वारा स्वयं का अध्ययन होता है वह स्वाध्याय है। जिसके द्वारा सत्य खोजा जाता है वह स्वाध्याय है।

नमस्कार महामंत्र का जाप, प्रवचन सुनना, कंठस्थ ज्ञान प्रतिक्रमण,धर्मकथा आदि सभी स्वाध्याय के रूप हैं। स्वाध्याय से हमारी अंतर्मुखता बढ़ती है। कार्यक्रम का मंगलाचरण कन्या मंडल के गीत के द्वारा हुआ।

 



 

मध्यप्रदेश़ के सभी जिलों में संवाददाता की आवश्यकता है इच्छुक व्यक्ति ही संपर्क करें 7697811001,7869289177 मध्यप्रदेश के सभी जिलों में संवाददाता की आवश्यकता है इच्छुक व्यक्ति ही संपर्क करें 7697811001,7869289177
"
"