पत्रकारों से सूत्र पूछने का अधिकार नहीं है - सीजेआई (सुप्रीम कोर्ट)* *मददगारों की कोई नही करता मदद, शाशन प्रशाषन को मीडिया पर झूठी कार्यवाही करने से पहले करना होगा विचार*

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पत्रकारों से सूत्र पूछने का अधिकार नहीं है - सीजेआई (सुप्रीम कोर्ट)* *मददगारों की कोई नही करता मदद, शाशन प्रशाषन को मीडिया पर झूठी कार्यवाही करने से पहले करना होगा विचार*

 **पत्रकारों से सूत्र पूछने का अधिकार नहीं है - सीजेआई (सुप्रीम कोर्ट)*

*मददगारों की कोई नही करता मदद, शाशन प्रशाषन को मीडिया पर झूठी  कार्यवाही करने से पहले करना होगा विचार*

*मील का पत्थर साबित होगा सुप्रीम कोर्ट का निर्देश,  माननीय न्यायमूर्ति महोदय  ओर बेंच का स्वागत योग्य निर्णय*


(मनोज पुरोहित)


पेटलावद ,, लोकतंत्र में आज भी जब किसी   असहाय की शाशन ,प्रशासन या जनप्रतिनिधि  सुनवायी नही करता है तो वह मजबूरन अपनी समस्या के हल के लिये या तो पत्रकार और मीडिया से अपेक्षा रखता है या न्यायालय से अर्थात आज भी देश की मीडिया और न्याय व्यवस्था पर आम जनता का भरोसा है कि कोई नही पर मीडिया या कोर्ट असहाय व्यक्ति की मद्दद जरूर करेगा । और आम आदमी के भरोसे पर (कुछेक अपवादों ) को छोड़कर अधिकांश मीडिया पत्रकार और न्याय व्यवस्था पर खरा उतरने का  हर सम्भव प्रयास करते भी है 


*झूठी कार्यवाही से प्रताडित होते मीडियापर्सन*मददगारों को कोई नही करता मदद*


वर्तमान दौर में चौथे स्तम्भ के रूप में पहचान रखने वाले मीडिया ओर  पत्रकारों पर सत्य खबर छापने  के लिये शाशन, प्रशास्न लगातार दबाव बनाने का प्रयास करता है और जब मीडिया पर दबाव नहीं बनता तो मीडियापर्सन को परेशान करने के लिये झूठे प्रकरण भी बनाये जाने से परहेज नही करते है  ऐसे में दुसरो के लिये मददगार साबित होने वाले मीडियापर्सन को बड़ी कठिनाई झेलनी पड़ती है । और उसको कोई मदद भी नही मिलता । लेकिन मिडिया ओर पत्रकारों की इस पीड़ा को देश की सर्वोच्च न्यायालय ने समझा है। ओर एक आदेश जारी किया है ।

*न्यायमूर्ति  ने यह कहा*

देश के सर्वोच्च न्यायालय ने एक बार फिर पुलिस प्रशासन एवं प्रशासनिक अधिकारियों को जमकर निशाना साधा और चेतवानी भी दी । मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूर्ण की बेंच ने कहा कि संविधान के आर्टिकल 19 और 22 के तहत पत्रकारों के मूल अधिकारों की स्वतंत्रता के खिलाफ पुलिस किसी भी पत्रकार के सूत्र नही पूंछ सकती है और न ही न्यायालय तब तक जब तक कि पत्रकारों के खिलाफ बिना जांच और पुख्ता सबूत के दर्ज मुकदमे और गवाही की जांच नही हो जाती है । आज कल देखा जा रहा है कि पुलिस पत्रकारों की स्वतंत्रता हनन कर रही है क्यों कि अधिकतर मामले में पुलिस खुद को श्रेष्ठ बनाने के लिए ऐसा करती है जिस संबंध में उच्च न्यायालय ने अब अपने कड़े रुख दिखाने पर कहा है अगर पुलिस ऐसा करती पाई जाती है तो फिर कोर्ट की अवमानना का मुकदमा दर्ज किया जा सकता है  व उस अधिकारी की सेवाये समाप्त की जा जायेगी ।

*निर्देश का स्वागत ओर सुपीम कोर्ट का  आभार*


इस तरह से देश के सर्वोच्च न्यायालय का उक्त निर्देश देशभर के सभी मीडियाकर्मियों के लिये आशा की एक किरण है ,समस्त मीडियाकर्मियों को माननीय न्यायमूर्ति श्री डी वाय चंद्रचूड़ ओर बेंच के इस निर्देश का स्वागत करते हुए अभिन्नदन करते हुए आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया जाना चाहियें।

 



 

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