ओड़ी वाला बाबा का 22 उर्स मुबारक हुआ आयोजित*

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ओड़ी वाला बाबा का 22 उर्स मुबारक हुआ आयोजित*

 *ओड़ी वाला बाबा का 22  उर्स मुबारक  हुआ   आयोजित*

(मनोज पुरोहित)

पेटलावद। खुदा के राज का पर्दा कभी उठा ही नहीं, किसी बशर को खुदा आज तक मिला ही नहीं..,हजार बार तू कुरआन पढ़े तो क्या हासिल, जनाबे पीर के चेहरे को कभी पढ़ा ही नहीं। 

यूपी देवा शरीफ उत्तरप्रदेश के मशहूर इंटरनेशनल कव्वाल गुलाम वारिस ने जब ये शेर पढ़ा तो आयोजन स्थल तालियों से गूंज उठा।

जी हां, खुशनुमे सुहाने मौसम के साथ, इत्र की खुश्बु की महक के बीच सूर और ताल की से संगत मिलाती कव्वाल पार्टी, सूफी संतो और हर कलाम पर कव्वाल पर नोटो की बारिश करते बाहर से आए ख्वाजा के दीवानो और नबी से मोहब्बत करने वाले।


यह नजारा था हजरत दातार ओढ़ी वाले दादा रेहमतुल्लाह अलैह दादाजी के 22 वें सालाना उर्स मुबारक का।

हजरत दातार ओढ़ी वाले दादा रेहमतुल्लाह अलैह के 22वें सालाना उर्स मुबारक पर कव्वाली का आयोजन रखा गया। रात में सरकार के दरबार में महफिल ए सिमां अपने शबाब पर रही। पहले मप्र के जावरा की इकबाल रमजान फरीदी कव्वाल पार्टी ने मंच संभाला। 

इसके बाद यूपी देवा शरीफ के गुलाम वारिस साहब ने मंच संभालकर अपने कलाम पेश किए। उन्होंने ऐसा माहौल खड़ा कर दिया कि हर आशिके रसूल झूम उठा। 


उन्होंने नबी के नाम कलाम सुनाते हुए कहा अली अली बोल फकीरा अली अली... इसके साथ ही हम हुसैन वाले है कर्बला हमारा है।.., ये चमक ये दमक सबकुछ सरकार तुम्हीं से है।..., मिला है खूब सहारा जिंदगी के लिए..., तजल्ली रूहे तेबा की दिखाकर गए वो मुझको दीवाना बनाकर।।...,इस वास्ते खुदा भी छिपकर छुपा ही नहीं..,क्योंकि फ़िदाओ में नाम लिखा है फातिमा।।, हुआ मै तेरा दीवाना, जो होगा देखा जायेगा।।...,जो मुझमें बोलता है मैं नहीं हूं...,।। आदि कलाम पेश किए। जिस पर बाहर से आए मेहमानों ने खूब दाद दी। रात करीब 3 बजे के बाद गजलों का दौर शुरू हुआ। जिसमें गुलाम वारिस से भरपूर गजल पेश कर श्रोताओं का मनोरंजन किया। 

कव्वाली की महफिल सुनने के लिए झाबुआ, राणापुर, भाबरा, थांदला, रतलाम, बदनावर, बड़नगर, कुशलगढ़, मेघनगर, दाहोद, सरदारपुर सहित कई जगहों से श्रद्धालु आए। महफिल ए सिमां में कई सूफी संत भी शामिल हुए जिन्होंने कव्वाली प्रोग्राम की रौनक बड़ाई। 


सदर सलीम शेख और उपसदर जावेद कुरेशी ने सभी नगरजनों ओर श्रद्धालुओ का सफल आयोजन के लिए दिल से आभार व्यक्त किया।

*ये कैसा जादू तूने निगाहे यार किया*

हजरत ओढ़ी वाले दातार रेअ के सालाना उर्स का समापन शनिवार को महफिल-ए-रंग के साथ हो गया। आस्ताने औलिया के बाहर स्थित महफिल खाने में कुल की महफिल हुई। सुबह महफिल खाने में 10.30 बजे रंग की महफिल शुरू हुई, इसमें जावरा से आए इकबाल रमजान फरीदी ने कई कलाम पढ़े। कार्यक्रम में जब कव्वाली गाई जा रही थी, तो उनके एक-एक कलाम पर नजराना देने के लिए लोग जा रहे थे। उन्होंने 'ये कैसा जादू तूने निगाहे यार किया' कलाम पेश किया तो उपस्थित लोगों की आंखों से पानी बह निकला। दोपहर 1 बजे हजरत अमीर खुसरो द्वारा लिखित 'आज रंग है री मां रंग है..से कुल की महफिल का समापन हुआ। उर्स के दौरान 'आज रंग है री सखी ओढ़ी वाले बाबा के घर आज रंग है, आओ चिश्ती संग खेलें होली दातार के संग' जैसे कलाम कव्वाल ने पेश की तो पूरा शामियाना इत्र व गुलाब जल की खुशबू से महक उठा। अंत में 'मेला बिछड़ो ही जाए, दातार तोरा मेला बिछड़ो ही जाए' प.ढकर रंग की महफिल का समापन हुआ। आस्ताने में कुल की रस्म हुई जिसमें फातेहा पढ़ी जाकर मुल्क में अमन चैन ओर खुशहाली की दुआ की गई। 

*महफिल सजी केसरिया साफे से:*

कव्वाली की महफिल में हर किसी के सिर पर केसरिया साफे नजर आए रहे थे। इसी रंगारंग महफिल में गुलाम वारिस कव्वाल पार्टी ने अपनी कव्वाली पेश की, जिसे समाजजनों ने खूब सराहा। 

*भंडारे का आयोजन:*

उर्स के समापन के अवसर पर नगर के युवाओं ने मिलकर लंगर-ए-आम शुद्ध सात्विक भंडारे का आयोजन किया गया। लंगर में श्रद्धालुओं ने बड़-चढकर हिस्सा लिया। उर्स कमेटी ने पुलिस ओर प्रशासन से लेकर हर किसी को इस धार्मिक आयोजन को सफल बनाने के लिए आभार माना है।

 



 

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