मा अहिल्या कि नगरी की है अदभुत बसाहट चहुओर है संकटमोचक हनुमानजी के मन्दिर*

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मा अहिल्या कि नगरी की है अदभुत बसाहट चहुओर है संकटमोचक हनुमानजी के मन्दिर*

 खड़े  खड़े विराजित है  बाबा बजरंगी करते नगर और वासियों कि रक्षा*

*मा अहिल्या कि नगरी की है अदभुत बसाहट  चहुओर है संकटमोचक हनुमानजी के मन्दिर*

*जलाई थी रावण की स्वर्ण लंका बचाये थे लक्ष्मणजी के प्राण ऐसे है सन्कट मोचक हनुमान*

 *हनुमान जन्मोत्सव हर्षो उल्लास के साथ मनाने की तैयारीया  पूर्ण*

(मनोज पुरौहित)

 *पेटलावद।* भगवान श्रीराम भक्त ,ओर भक्तो के संकट मोचक बाबा बजरंगबली का जन्मोत्सव चैत्र मास कि पूर्णिमा को मनाया जाता है । इस वर्ष  हनुमान जयंती  12 अप्रेल  2025  शनिवार  को शुभ अबसर पर है ।श्री हनुमान जी के जन्मोत्सव के अवसर पर  हर साल की तरह इस वर्ष भी नगर के हर हनुमान मंदिर पर विशेष तेयारीया कि जा रही है   इस अवसर पर मंदिरों में। विशेष श्रंगार , सुंदरकांड पाठ,हनुमान चालीसा ,सुन्दरकात्मक हवनऔर हनुमान जी की विशेष आरती के साथ क़ई स्थानों पर भंडारों का भी आयोजन किए जावेगे ।


 *नगर के चहुओर स्थापीत है बाबा  की मूर्तियां ओर मन्दिर*

हमारे पेटलावद नगर को माँ अहिल्याबाई की नगरी कहा जाता है । यदि पेटलावद नगर की बसाहट पर यदि नजर डाले तो रूपगढ़ स्थित शत्रुहन्ता सूर्यमुखी हनुमानजी धाम मन्दिर,, मेला ग्राउंड स्थित वीर ओर दास हनुमानजी महाराज, दुलाखेड़ी के हनुमानजी, खोरिया स्थित बाबा बजरंगबली, करडावद घाटी पर स्थित हनुमानजी महाराज, टेमरिया में विराजित हनुमानजी महाराज, पम्पावती नदी के किनारे फूटा मन्दिर में विराजित हनुमानजी महाराज , व गुर्जरों के खेत से आगे विराजित संकटमोचक हनुमानजी महाराज, अन्नत्तखेड़ी में विराजित हनुमानजी महाराज ,  श्री नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर में विराजित हनुमानजी महाराज , श्री राममंदिर राम मोहल्ला, ओर बड़ा रामजी मन्दिर शीतलामाता चोक,   सुभाष मार्ग स्थित दक्षिण मुखी वीर हनुमान  बजरंगबली महाराज व शनिदेव मन्दिर स्थित बाबा बजरंगबली, अनन्तखेड़ी के बाबा बजरंगी  की चमत्कारिक मूर्तियां न सिर्फ वर्षो से भक्तो कि आस्था का केंद्र है।

*जलाई थी  स्वर्ण लंका ,बचाये थे  लक्ष्मण जी के प्राण*

  ऐसा माना जाता है की  नगर के चारो तरफ चारो दिशाओं में विराजित बाबा बजरंगबली की ये मूर्तियां ओर मन्दिर पेटलावद क्षेत्र, नगर और नगरवासियों की रक्षा करती है । जिस प्रकार से श्री रामायण जी मे बाबा बजरंगबली को एक रात्री में लक्षमन्जी के प्राणों की रक्षा करने के लिये ओर रावण की स्वर्ण लंका में आग लगाने  सन्कट मोचक नाम से पुकारा जाता है ठीक वैसे ही नगर के खेड़े- खेड़े  पर विराजित बाबा बजरंगबली इस क्षेत्रवासियों की रक्षा और सहायता करते है ।

 



 

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