*श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से मृत्यु मोक्ष में बदल जाती है- पं. धनराज जी*
*कथा का दूसरे दिन भक्तों की भीड उमडी और भजनों पर नाचते गाते भक्ती का आनंद लिया*
(मनोज पुरौहित)
*पेटलावद।* सत्य और धर्म कभी भी नहीं छुपता है। गोविंद की भक्ति के माध्यम से हम अपने जीवन का सर्वोच्च पद पा सकते है। जिस प्रकार परिक्षीत ने सात दिवस में मृत्यु का श्राप मिलने के बाद भी श्रीमद् भागवत का श्रवण कर अपनी मृत्यु को मोक्ष में बदल दिया है। इसी प्रकार हम गोविंद की भक्ति कर मनुष्य जीवन से मोक्ष पा सकते है।
श्रीरामजी मंदिर पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक परम पूज्य पं. धनराज जी ने व्यक्त किये। श्रीमद् भागवत कथा के मुख्य यजमान श्रीमती निर्मला देवी जी, मनोज पुरोहित, गोपाल पुरोहित और महेश पुरोहित के द्वारा पौथी की पूजन कर महाआरती की।
*गौ सेवा ही भगवान विष्णु की सेवा है।*
उन्होने कहा कि क्रोध और जीभ को आपस में नहीं मिलने दे जब आपको क्रोध आये तो अपनी जीभ पर नियंत्रण रखे। जिससे सारी स्थितियां सुधर सकती है। राजा परिक्षीत को ऋषि पुत्र ने क्रोध में आकर श्राप दिया। जिसके बाद उन्हें इसका दुख भी हुआ। इसलिए क्रोध में कोई निर्णय भी नहीं लेवे
कथा के दरम्यान गुरूदेव ने बताया कि माता पिता,गुरू और संतो का हमेशा सम्मान करें। जहां माता पिता,गुरू,संत और गौमाता की सेवा होती है वहां भगवान विष्णु का वास होता है।
कथा का लाभ लेने के लिए भक्तजनों की भीड उमड रही है। कथा के दूसरे दिन ही भक्तों का तांता लगा। लगातार भक्तों की संख्या बढती जा रही है।
*भजनों पर भक्त नाच रहे है।*
*‘‘म्हारो मन लागो सत्संग में‘‘* जैसे भजनों पर भक्तगण नाच गा रहे है और श्रीमद् भागवत कथा का आनंद ले रहे है।
कलयुग में श्रीमद् भागवत ही एक ऐसा उपाय है जो की मृत्यु को मोक्ष में बदल सकती है। परिक्षीत को ज्ञात था कि उसकी मृत्यु 7 दिन बाद होगी पर हम मनुष्य को नहीं मालूम की हमारी मृत्यु कब होगी इसलिए हमें हमेशा भगवान के स्मरण में ही अपना समय बिताना चाहिए ताकी जब मृत्यु आये तो गोविंद की शरण मिले और हमारा मोक्ष हो जाये। शाम को कथा विश्राम पर महाआरती का आयोजन और सभी भक्तों को प्रसादी का वितरण किया गया।