*संस्कृत भाषा संस्कारों की जननी है*
*संस्कृत सप्ताह का हुआ समापन*
(मनोज पुरौहित)
पेटलावाद।संस्कृत भारती झाबुआ जिला इकाई द्वारा आयोजित संस्कृत सप्ताह के समापन समारोह आयोजन उदय गार्डन पेटलावद में किया गया संस्कृत सप्ताह का शुभारंभ दिनांक 16/08/2024 को केशव विद्यापीठ झाबुआ में किया गया था संस्कृत सप्ताह के दौरान झाबुआ मेघनगर राणापुर थांदला पेटलावद विकासखंड के विभिन्न विद्यालय तथा ग्रामो में संस्कृत सप्ताह मनाया गया संस्कृत सप्ताह के दौरान 270 ग्रामों के लगभग 3000 लोगों से संस्कृत भारती द्वारा संपर्क किया गया एवं "वदतु संस्कृतं" 1500 पुस्तक वितरित की गई। आगे इतनी ही संख्या में आगे भी वितरित की जाएगी।
तथा 20 से अधिक विद्यालयों के शिक्षकों तथा विद्यार्थियों द्वारा संस्कृत सप्ताह में सहभागिता की गई संपूर्ण झाबुआ जिले के संस्कृत सप्ताह के समापन समारोह का आयोजन पेटलावद के उदय गार्डन में किया गया इस अवसर पर अतिथि के रूप में ओझा सर प्राचार्य सीएम राइस स्कूल कल्याणपुरा महामंडलेश्वर श्री जितेंद्रानंद महाराज जी योगेंद्र प्रसाद जी प्राचार्य शासकीय कन्या स्कूल पेटलावद
महेंद्र जी राठौड़ झकनावदा (जिला अध्यक्ष संस्कृत भारती) पूरूलाल चौहान प्राचार्य सीएम राइस पेटलावद मोहन डामर संयोजक संस्कृत भारती रतलाम विभाग रामचंद्र बा परमार श्रीमती विनीता चतुर्वेदी संस्कृत शिक्षिका पेटलावद का आतिथ्य प्राप्त हुआ सर्वप्रथम कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती का पूजन व दीप जलाकर कर किया गया अतिथि परिचय रामचंद्र जी पाटीदार जामली द्वारा करवाया गया समस्त अतिथियों का स्वागत नाथू लाल जी पाटीदार रायपुरिया एवं कैलाश जी खेर द्वारा किया गया उसके पश्चात वंदना श्रीमती विनीत चतुर्वेदी ने प्रस्तुत की ग्रह मंत्र भक्ति चतुर्वेदी तथा संस्कृत गीत श्री मोहन जी डामर द्वारा प्रस्तुत किया गया उसके पश्चात विभिन्न विद्यालय के भैया बहनों द्वारा संस्कृत भाषा में गीत श्लोक भाषण तथा सरस्वती शिशु मंदिर जामली की बहनों द्वारा संस्कृत भाषा के गीत द्वारा नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री द्वारा ओझा सर द्वारा सभी को संबोधित करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा से संस्कार आते हैं संस्कृत भाषा देव भाषा है तथा सभी भाषाओं की जननी है अतः हमें संस्कृत को हमारे दैनिक जीवन में प्रयोग करना चाहिए उन्होंने संस्कृत भाषा को कौशल के रूप में अपनाते हुए उसके व्यवसायिक लाभ बताते हुए कहा कि आने वाले दिनों में शासकीय शिक्षक सेवाओं में संस्कृत शिक्षकों का भविष्य उज्जवल होने वाला है इसके पश्चात श्री मोहन जी डामर ने सभी से निवेदन किया कि हमें अधिक से अधिक संस्कृत भाषा को बोलचाल की भाषा के रूप में प्रयोग करना चाहिए कार्यक्रम का संचालन सरस्वती शिशु मंदिर जामली के प्रधानाचार्य अरुण बैरागी के द्वारा किया गया उक्त जानकारी श्री मोहन जी डामर द्वारा प्रदान की गई