त्रिशताब्दी वर्ष महोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम में हजारों महिलाओं ने भागीदारी की।*

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त्रिशताब्दी वर्ष महोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम में हजारों महिलाओं ने भागीदारी की।*

 *अपनी प्रजा के सभी अभावों को मिटाने वाली पुण्यश्लोक है अहिल्यादेवी- श्री मालीवाड।* 

 *त्रिशताब्दी वर्ष महोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम में हजारों महिलाओं ने भागीदारी की।* 

(मनोज पुरौहित)

 *पेटलावद।* पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई होलकर की त्रिशताब्दी का यह वर्ष है हमारे लिए आज की स्थिति में भी उनका चरित्र आदर्श के समान है। एक अकेली महिला होने के बाद भी अपने बडे राज्य को केवल संभालना नहीं, बडा करना और सुराज्य के नाते उसका कार्यवहन करना ,राज्य कर्ता कैसा हो वह इसका आदर्श उदाहरण है। उक्त बाते अहिल्याबाई होलकर की त्रिशताब्दी वर्ष महोत्सव पर मंगलवार को आयोजित कार्यक्रम में कैलाश मालीवाड,जिला कार्यवाह ने कहीं।

कार्यक्रम का आयोजन लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर त्रिशताब्दी समारोह समिति,पेटलावद के द्वारा किया गया।


इस मौके पर कार्यक्रम के शुभारंभ में अतिथियों के द्वारा भारत माता के चित्र और देवी अहिल्याबाई के चित्र पर माल्यार्पण कर द्वीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।मंच पर किशोर जी सोनी,त्रिशताब्दी वर्ष महोत्सव के जिला सहसंयोजक, रमेश सोलंकी,सामाजिक कार्यकर्ता, देवबाला सोनी सामाजिक समरसता जिला टोली सदस्य, सुनीता पाटीदार,ममता धानक आदि उपस्थित रहें।  

 **महिला सशक्तिकरण का आदर्श है।* 


श्री मालीवाड ने आगे बताया कि उनके नाम के आगे पुण्यश्लोक शब्द इसलिए लगा क्योकि उन्होंने अपनी प्रजा को सब प्रकार के अभावों से मुक्त किया। हम मातृशक्ति के सशक्तिकरण की बात आज करते है लेकिन मातृशक्ति कितनी सशक्त है और क्या-क्या कर सकती है, कैसे कर सकती है इसका अनुकरण करने लायक देवी अहिल्याबाई ने अपने जीवन से हम सब लोगों के सामने आदर्श रखा है।

 *असख्यं मंदिरों का निर्माण।* 

 आगे श्री मालीवाड ने कहा कि उन्होंने अपने जीवनकाल में सैकडों मंदिरों का निर्माण करवाया पेटलावद नगर के निलकंठेश्वर मंदिर भी उनके ही द्वारा स्थापीत है। वे भगवान शिव की आज्ञा से ही राज्य चला रही थी। ऐसा उनका भाव था। उन्होंने सारे भारत में मंदिर, नदी घाट और धर्मशालाएं बनवाई जो की धर्मयात्राओं के मार्ग में है।  भारत की सारी जनता का आना जाना अपने सांस्कृतिक स्थलों में हमेशा चलता रहता है। जिससे एकात्मता बनी रहे। इतना दूर का विचार करके उन्होंने यह काम किये है। आज हमें उनके द्वारा की गई तपस्या का सफल बनाना है।


 *सादगी पूर्ण जीवन ।* 

 श्री मालीवाड ने कहा कि रानी होने के बावजूद भी उनका जीवन सादगी पूर्ण था। वे इसी प्रकार प्रजा का पालन, राज्य का संचालन, राज्य की सुरक्षा ,देश की एकात्मता-अखंडता,सामाजिक समरसता, सुशीलता के गुणों से भरी हुई थी। जो आज हमारे लिए आदर्श और मार्गदर्शक है। 

 *संकल्प लिया* 


 इस अवसर पर श्री मालीवाड़ ने उपस्थित जन समुदाय को संकल्प दिलवाया की  हम सभी देवी अहिल्याबाई के बताए मार्ग पर चले और राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग प्रदान करें। हम हमारे देवालयों की सुरक्षा और संधारण करें।


कार्यक्रम में महिलाओं ने बढचढ कर हिस्सा लिया। जिसमें लगभग 1100 से अधिक महिलाएं पूरे क्षेत्र से पहुंची । महिलाओं के एकत्रीकरण में देवी अहिल्याबाई व्याख्यानमाला समिति, त्रिशताब्दी वर्ष महोत्सव समिति सहित अन्य संगठनों का सहयोग रहा।कार्यक्रम पश्चात सभी पधारे हुए अतिथियों और श्रोताओं के लिए समरसता भोज का आयोजन भी किया गया।

*इनकी रही गरिमामयी उपस्थिति*


जिसमें मुख्य रूप से मंच पर  ललीता सोलंकी, गंगाबेन निनामा, गवराबाई कटारा, राधिका बेन कटारा,होमली बेन गामड, तेजुबाई डोडियार, बुलबुल जाटव आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन जितेंद्र कटकानी ने किया और अंत में आभार रमेश सोलंकी ने माना।

 



 

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