*जिंदगी में इतना आसान नही किसी के सम्मान के योग्य बनना उम्र निकल जाती है ,साहब मंच तक पहुँचते पहुँचते*
*भंगार में पड़ी मिली शील्ड ओर ट्राफियां*
(मनोज पुरौहित)
पेटलावद। भारतीय परम्परा में वरीष्ट को सम्मान दिए जाने के व्यवस्था और परंपरा है । वही मानव अपने जीवनकाल मे जो कार्य ,मेहनत या क्रिएटिव वर्क करता है उसके लिये उसे समानित किया जाता है ।
*आसान नही कीसी के सम्मान के योग्य बनना, उम्र निकल जाती है साहब*
सम्मान के उस मंच तक पहुँचने में व्यक्ति को कितनी मेहनत ओर प्रयास करना पड़ता है यह वही व्यक्ति जानता है, क़ई बार तो इस मुकाम तक पहुँचते पहुँचते व्यक्ति का जीवन का भी अंत हो जाता है । अपने को मिले सम्मान और सम्मान के चिन्ह, प्रमाण पत्र, शील्ड, या उस पल के फोटो को आजीवन सम्भाल कर भी रखता है क्योंकि ये उसके जीवन भर की पूंजी है । ओर इन बेशकिमति खजाने को व्यक्ति सुरक्षित और सहेज कर भी रखता है ।
*शील्ड ओर ट्राफियां पड़ी थी भंगार में*
लेकिन नगर की सड़कों पर दो दिन पूर्व एक अजीब नजारा देखने को मिला जिसमे एक भंगार बेचने वाले की ठेलागाडी पर भंगार के साथ किसी व्यक्ति को सम्मान में दिए जाने वाले शील्ड ओर ट्राफियां भी पड़ी मिली जिसे भंगार वाले ने किसि से भंगार के भाव खरीदा था और कबाड़ के साथ बेचने के लिये जा रहा था।
*युवाओ ने ली चुटकी*
नगर के कुछ युवाओ ने जब कबाड़ के साथ इन शीलडो को देखा तो हाथ मे उठाकर चुटकी लेते हुए बोले कि जीस व्यक्ति ने इन शील्ड ओर ट्राफियां को भंगार में फेंक दिया या तो वह उस सममान (शील्ड) के मायने नहीं समझता या फिर उस व्यक्ति को उस सम्मान की कद्र नही , या फिर जिसे व्यक्ति को ये शील्ड दी गयी वह उसके योग्य नही था ।
बात तो छोटी है पर ये भी है कि
*सम्मान भी उसे ही मिलना चाहिये जो उसकी कद्र करे*,
*जो योग्य है वह हर झगह सम्मान पा ही जाता है*
**नोट :- ये सिर्फ व्यंग्यात्मक चुटकी है कोई भी इसे अन्यथा न ले*