संस्कृत को जनभाषा बनाने के लिए 28 दिसंबर को जनपद संस्कृत सम्मेलन का आयोजन।*

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संस्कृत को जनभाषा बनाने के लिए 28 दिसंबर को जनपद संस्कृत सम्मेलन का आयोजन।*

 *संस्कृत को जनभाषा बनाने के लिए 28 दिसंबर को जनपद संस्कृत सम्मेलन का आयोजन।* 

 *संस्कृत वेज्ञानिक भाषा जो की भारत की मातृभाषा है...मोहनजी डामर* 

(मनोज पुरोहित)

 *पेटलावद।* संस्कृत भारती के द्वारा पेटलावद नगर के गायत्री मंदिर पर  आज दिनांक 28 दिसम्बर को जनपद संस्कृत सम्मेलन का आयोजन रखा जा रहा है। जिसमें क्षेत्र के संस्कृत के ज्ञाता, मंदिर पुजारियों और संस्कृति प्रेमियों को आमंत्रीत किया गया है। इस सम्मेलन का उद्ेश्य हमारी मातृ भाषा संस्कृत को जन जन की भाषा बनाना है। इस सम्मेलन में मुख्य रूप से मुख्य वक्ता के रूप में भरत वैरागी,अध्यक्ष पतंजलि संस्कृत संस्थान भोपाल,मध्यक्षेत्र संयोजक संस्कृत भारती उपस्थित रहेगे जो की मार्गदर्शन प्रदान करेंगे।


कार्यक्रम की अध्यक्षता सामाजिक कार्यकर्ता कल्याणी बोरवेल के गोपाल वैरागी करेंगे। मोहनसिंह डामर विभाग सहसंयोजक,रतलाम ने बताया कि संस्कृत विज्ञानिक भाषा है। जिसमें एक शब्द का एक ही अर्थ होता है। जो की कम्प्यूटर की भाषा है। और हमें गर्व है कि यह हमारी मातृभाषा है। इसे भारत में जन जन की भाषा बनाना है। ताकी भारत का अधिक विकास हो।

 वसंतदास वैरागी,जनपद सहसंयोजक,महेंद्र सिंह राठौर,जनपद अध्यक्ष,संस्कृत भारती,राहुल वैरागी,जनपद प्रचार प्रसार प्रमुख ने अपील की है कि आयोजन में अधिक से अधिक संख्या में पधारकर संस्कृत को जनभाषा बनाने में सहयोग प्रदान करें।

 



 

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