*पादुका पूजन कर गुरूवंदना के साथ संपन्न हुआ तीन दिवसीय महोत्सव*
*अखंड किर्तन की पूर्णाहुति के साथ महाआरती और महाप्रसादी का लाभ लिया।*
(मनोज पुरोहित)
*पेटलावद।* श्रीजी पादुका स्पर्श महोत्सव के 15 वें आयोजन का गुरूवार को पादुका पूजन के साथ तीन दिवसीय अखंड संकिर्तन की ऐतिहासिक रूप से पूर्णाहुति हुई।
अरूणोदय वेला में संकिर्तन की पूर्णाहुति वेद मंत्रों के साथ अभिषेक करते हुए भक्तों पर पुष्प वर्षा कर की गई। गुजरात से आये भक्तों ने लगातार तीन दिन तक अखंड संकिर्तन में अपना संपूर्ण सहयोग प्रदान करा। इसके साथ ही नगर व थांदला वैकुंठधाम के गुरू भक्तों ने भी अपना सहयोग दे कर आयोजन को सफल बनाया।
संकिर्तन की पूर्णाहुति के साथ ही अन्नपूर्णा पूजन का शुभारंभ हुआ और इसके पश्चात आयोजन की महत्वपूर्ण कडी पादुका पूजन का आयोजन किया गया। जिसमें सैकडों भक्तों ने शामिल हो कर भगवान की पादुका पूजन की और श्री जी पाद स्पर्श महोत्सव का लाभ लिया।
पादुका पूजन का शुभारंभ अध्यक्ष ओमप्रकाश भट्ट ने पूजन व अभिषेक कर के किया इसके पश्चात गुरूभक्तों ने पादुका पूजन का लाभ लिया।
पादुका पूजन के दरम्यान गुरू भक्ति के भजनों का आनंद गायक कलाकारों ने दिया। सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक पादुका पूजन का क्रम चला। इसके पश्चात गुरूभक्तों ने मिलकर महाआरती का लाभ उठाया जिसमें हजारों की संख्या में गुरूभक्तों की उपस्थिति में महाआरती और स्तुति गाई गई।
इसके पश्चात महाप्रसादी का लाभ भी हजारों भक्तों ने लिया। महाप्रसादी के लिए सेवा देने वाले कार्यकर्ताओं ने भी पूर्ण निष्ठा से सेवा दी।
*भावुक हुए भक्त*
आयोजन के दरम्यान भावुक पल जब आए जब गुरूभक्तों की विदाई का समय आया। तीन दिन से लगातार सेवा दे रहे गुरूभक्तों को समिति के सदस्यों ने विदाई दी। जिसमें गुरूभक्तों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए इस प्रकार के सहयोग की अपेक्षा हमेशा की गई।
तीन दिवसीय आयोजन में प्रतिदिन भगवान का तीन बार आरती और श्रंगार किया गया। आयोजन का उद्ेश्य गुरूदेव के प्रथम बार नगर आगमन की याद को चिरस्थाई बनाये रखना है। और गुरूभक्तों को मिलन का एक अवसर प्रदान करना है। इस आयोजन में गुजरात,महाराष्ट्र और राजस्थान सहित मध्यप्रदेश के गुरूभक्तों ने अपनी उपस्थिति दी
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*आभार माना।*
आयोजन के सफलतापूर्ण संपन्न होने पर समिति के सदस्यों ने गुरूभक्तो और धर्म प्रेमी जनता के प्रति आभार प्रदर्शन किया और सभी जनों से हर वर्ष इसी प्रकार सहयोग बनाये रखने की अपील करते हुए गुरूभक्ति का लाभ लेने का निवेदन किया गया।