नशे की लत में बर्बाद होते युवा,मातममनाते*परिजन* *झाबुआ से आगे पेटलावद बन रहा उड़ता पंजाब*

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नशे की लत में बर्बाद होते युवा,मातममनाते*परिजन* *झाबुआ से आगे पेटलावद बन रहा उड़ता पंजाब*

 *नशे की लत में बर्बाद होते युवा,मातममनाते*परिजन*

*झाबुआ  से आगे पेटलावद बन रहा उड़ता पंजाब*

*सुट्टा ,हुक्का इंजेक्शन पुडियो शहीत क़ई  वैरायटी  में उपलब्ध*

*क्षेत्रवासियों के  माथे  पर चिंता की लकीरें सोसल मीडिया पर छिड़ी बहस*

(मनोज पुरोहित)

पेटलावद। नशा नाश की जड़ है और हम अपना नाश करके रहेंगे..। ये बाते आजकल शहर के युवा करते नजर आ रहे है। हाल ही में कुछ घटनाओं पर नजर डाले तो जो युवा असमय काल की गाल में समा गए वो सब नशे की लत से लाचार थे। किसी की मौत या तो नशा अधिक करने से हो गई तो किसी को नशा समय पीआर नही मिला तो अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। शहर अब उड़ता पेटलावद हो गया हे। दिनोदिन युवा पीढ़ी नशे के दलदल में फसती जा रही है। इस बारे में एसपी पद्म विलोचन शुक्ल से बात की गई तो उनका कहना हेकि नशे के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। हर थानों पर इसको लेकर सक्त हिदायत दी जाएगी। नशे के खिलाफ ठोस कदम उठाकर अभियान चलाया जाएगा।


बढ़ती जा रही किशोर वय की तादात

 नशे के दल-दल में युवा पीढ़ी के पांव धंसते जा रहे हैं. इसमें युवाओं से कहीं अधिक संख्या किशोर वय के बच्चों की है. जिस तरह इस दल-दल में युवाओं की फौज बड़ी होती जा रही है उससे यह बात समाज के लिए चिंताजनक हो गयी है। हालांकि इसके लिए अभिभावक भी कम दोषी नहीं हैं.

अपने बच्चों के प्रति जैसे-जैसे माता-पिता की लापरवाही बढ़ती जा रही है, उसी अनुपात में गलत राह में बच्चों के कदम बढ़ते जा रहे हैं। सबसे अधिक चिंताजनक पहलू इस नशे के जाल में लड़कियां भी फंसती जा रही हैं। न तो इस ओर प्रशासन की नजर है और न ही अभिभावक ही संजीदा नजर आ रहे हैं. आलम यह है कि शहर के सुनसान इलाकों में दिन के उजाले में भी बच्चे नशे में धुत्त मिल जाते हैं. समय के साथ अपेक्षाकृत कम उम्र में ही मानसिक रूप से परिपक्व होती जा रही नयी पीढ़ी इसमें अधिक दिख रही है.

किशोर नशे के लिए नये-नये तरीके इस्तेमाल कर रहे हैं. थीनर, नशे की गोली, कोडीन युक्त सीरफ के अलावा अन्य उपलब्ध नशे का सामान इस्तेमाल कर रहे हैं।

 लुंज-पुंज चिकित्सा व्यवस्था के कारण इन बच्चों को ये ‘प्रतिबंधित’ दवायें सहजरूप में मिल जाती हैं

जानकारों की मानें तो नशा में इस्तेमाल होने वाली दवायें एनआरएक्स ड्रग की श्रेणी में आते हैं. इन सभी दवाओं के क्रय-विक्रय की सूची दुकानदारों को रखनी है. ये सभी ड्रग चिकित्सक के पर्चे पर ही बेचे जाने हैं। 


*अभिभावकों को भी रखनी होगी निगाह*

नशे के दल-दल में धंसती जा रही नई पीढ़ी के लिए उनके अभिभावक भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। उनके बच्चे कहां जा रहे हैं, क्या कर रहे हैं इस पर ध्यान नहीं देते। कामकाज में उलझे रहने के कारण बच्चों को पूरा समय भी नहीं दे पाते।

चिकित्सकों का कहना है कि नई पीढ़ी को इस जाल से मुक्त करने तथा इसमें फंसने से रोकने के लिए सबसे अधिक जागरूक व साकांक्ष अभिभावकों को ही रहना होगा। अगर कोई बच्चा अचानक सुस्त नजर आने लगे, उसकी आंखें बोझिल दिखे, आंख के नीचे काला धब्बा बनता नजर आये तो तुरंत इसपर ध्यान देना चाहिए।

उनकी संगत किन बच्चो के साथ है, वे घर के बाहर क्या करते हैं इन सब पर निगाह रखने की जरूरत है. बच्चों को पूरा समय देकर, उनसे बात कर इस दल-दल से समय रहते उन्हें निकाला जा सकता है। आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सकीय परामर्श भी लेनी चाहिए। इस समस्या से केवल वे ही नहीं जूझते जिनके बच्चे इसमें संलिप्त हैं। कारण नशे में डूबे किशोर वय के बच्चे आमजन को अपने व्यवहार से परेशान करते हैं.

*ये हैं चिह्न्ति स्पॉट*

शहर के कई जगहों पर नशे में बेसुध बच्चे पड़े मिल जाते हैं। आम आवाजाही जिन इलाकों में कम होती है, उन स्थानों पर ऐसे बच्चों की फौज मिल जाती है। इसमें हनुमान गढ़ रोड, माही कॉलोनी रोड़ व रायपुरिया मार्ग स्थित तालाब को सबसे ज्यादा सेफ इलाका बच्चे मानते हैं। इन जगहों पर इंजेक्शन, थीनर की बोतलें मिलती हैं, जो इसका प्रमाण देते हैं। इसके पहले सीएम राइस स्कूल के पास पुरानी बिल्डिंग में तो सैकड़ो इंजेक्शन मिल चुके है और अधिक नशा करने से एक युवक की मौत भी हो चुकी है। इसके अलावा अन्य अपेक्षाकृत शांत इलाके में ऐसे बच्चों का जमावड़ा दिन के उजाले में भी लगा रहता है. 

*व्हाइटनर व थीनर का प्रयोग सबसे ज्यादा*

नशे के लिए व्हाइटनर या नेल पॉलिस में इस्तेमाल किये जानेवाले थीनर का प्रयोग सबसे ज्यादा होता है. बच्चे किसी भी जेनरल स्टोर या किताब-कॉपी की दुकान से थीनर खरीद लेते हैं. इसे रूमाल या किसी दूसरे कपड़े पर उड़ेलकर सूंघते हैं. बच्चों ने बताया कि ऐसा करने के बाद एक नशा सा छा जाता है. इसे खरीदने में किसी तरह की परेशानी भी नहीं होती. लोग शक भी नहीं करते. जानकारी के अनुसार इसका नशा इतना तेज होता है कि सामान्य होने में बच्चों को कई बार घंटों लग जाते हैं।

वहीं ट्रैकोलाइजर ड्रग जैसे अल्प्राजोलम, डाइजीपाम आदि का भी उपयोग धड़ल्ले से नशा के लिए किया जाता है. कोडीनयुक्त कफ सीरफ का भी इस्तेमाल भी इसके लिए किया जाता है. यही वजह है कि कई कफ सीरफ मार्केट में आते ही हाथों-हाथ उड़ जाते हैं। इसके अतिरिक्त नशीला पदार्थ मिलाकर धूम्रपान के जरिये लेते हैं।





*नशे की लत में बर्बाद होते युवा,मातम मनाते परिजन*


 क्षेत्र में इन दिनों असमाजिक तत्वों के द्वारा क़ई ऐसी घटनाएं कारित की जा रही है  जो आमजन के लिये पीड़ादायक होकर आमजन में भय का माहौल है ।


कुछ  दिनों पूर्व रात्रि  में बामनिया क्षेत्र में एक साथ क़ई वाहनों को पंचर कर बड़ी वारदात को अंजाम देने कि नाकाम कोशिश की गई। वन्ही थोड़े समय पहले रात्रि  10 बजे के आसपास माही नदी के तट पर अज्ञात लुटेरों ने पेटलावद तरफ आरहे वाहन पर पथराव किया । बामनिया ओर अमरगढ़ क्षेत्र में चोरी कि घटनाएं हुई। इन सब घटनाओं के तार नशे से जुड़े युवाओं की तरफ मुड़े है।


*शराब ओर  ड्रग्स की लत में पेटलावद के युवा*


  नशे के मामले में पेटलावद क्षेत्र जिले में सबसे आगे निकल चुका है। शराब के नशे के सेवन से आगे बढ़कर ड्रग्स की लत में पड़ चुका है । क़ई युवा इस बुरी लत में लगकर खुद का जीवन बर्बाद  करने के साथ ही परिवार के लिये परेशानी का सबब बन चुके है । नशे की बढ़ती लत ने क़ई युवाओं को असमय ही मौत की नींद में सुला दिया है, भले ही सरकारी आंकड़े न हो लेकिन क्षेत्रवासी अछि तरह से इन तथ्यों को स्वीकार करते है । कुछ दिनों पूर्व क्षेत्र के तीन युवा नशे के कारण राहगीरों से लूट करते दिखाई दिए, एक युवा का कुछ दिनों पूर्व नशे के कारण निधन हुआ है, तो  दो माह पहले स्कूल कि पुरानी बिल्डिंग में एक युवा की लाश मिली थी जो कही न कही नशे की आदतों ओर परिणामो कि ओर इशारा करती है ।


*सोशल मीडिया पर पुलिस प्रसाशन से कार्यवाही की उठ रही मांग*

नशे के कारोबार ओर युवाओ में बढ़ती लत को सोशल मीडिया पर भी आमजन चिंता जताते हुए पुलिस प्रसाशन से कार्यवाही की मांग करते नजर  आ रहे है । वही  सोशल मीडिया पर  चल रही बहस के अनुसार  नगरवासी बता रहे है की  पेटलावद झाबुआ से आगे निकल चुका हे। नशे के मामले में पेटलावद नम्बर वन है जिले में एसपी साहब आपका झाबुआ पेटलावद के आगे कुछ नही लगता | इस प्रकार की पोस्ट सीधा इशारा कर रही है कि नशे का कारोबार झाबुआ जिले में सबसे ज्यादा पेटलावद क्षेत्र में हो रहा है ।

*युवाओ को जकड़ रहा नशे का मकडजाल*

नगर शहीत आसपास के ग्रामीण युवा साथी अधिकांश पूरी तरह ड्रग्स, पावडर, अफीम ओर गांजे का सेवन करते हुए नशे में लिप्त रहते है । स्कूल, कालेज, कोचिंग  के स्टूडेंट ,मज़दूरपेशा युवक ओर मिडिल क्लास फेमिली के नोनिहालो  इस नशे में मकड़जाल में फसते जा रहे है।

वही बड़े घरों ,रईस परिवारों के  नवयुवा तो क़ई ऐसी दवाओं का भी सेवन कर रहे है जो उन्हें नशे का परम आनंद देती है। 


*सप्लाय के नायाब तरीके और पार्टियों के अड्डे*

इसी बहस में कुछ लोग बता रहे है कि क्षेत्र में 50 से ज्यादा शराब बिक्री के स्थानों पर भी नशीली वस्तुएं मिल रही है, गांधी चौक, रूपगड़ रोड, मिट्टी परीक्षण केंद्र सिविल अस्पताल रोड, मेला ग्राउंड ,मंडी के पीछे क़ई सुनसान स्थानों पर युवा नशे करते हुए देखे जाते है । वही बामनिया ओर रतलाम तरफ से पुड़िया ओर लिफ़ाफ़े में सप्लाय होना भी बताया जा रहा है ।

*मोनिटरिंग ओर कार्यवाही की उठ रही मांग*


वैसे स्थानीय पुलिस इन दिनों चलित थाने के माद्यम से अपराधों पर अंकुश लगाने और सोशल पुलिसिंग के माध्य्म से आमजन में समाजसेवा ओर सराहनिय कार्यो की तस्वीरों को साझा करती नजर जरूर आ रही है। लेकिन बढ़ती आपराधिक गतिविधियों से आमजन में भय का माहौल है और इसी के चलते नगरवासी सोसल मीडिया पर पुलिस प्रसाशन पर कार्यवाही की मांग करने वाली पोस्ट कर रही है, मतलब साफ के जिले के कप्तान को पुलिस एक्टीविटी पर मोंनिटरिंग की दरकार है ।

 



 

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