मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना में करोड़ों की शासकीय भूमि पर पट्टे के नाम से पंचायतो में चल रहा बड़ा खेल*

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मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना में करोड़ों की शासकीय भूमि पर पट्टे के नाम से पंचायतो में चल रहा बड़ा खेल*

 *मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना में करोड़ों की शासकीय भूमि पर पट्टे के नाम से पंचायतो में चल रहा बड़ा खेल*

तत्कालीन एसडीएम पेटलावद ने आपत्ति पर जांच कर एक ही पंचायत में 223 अपात्रो को किया था योजना से बाहर*...

(मनोज पुरौहित)

पेटलावद।तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी चौथी पारी मे 28 अक्टूबर 2021 को गरीब और आमजन अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग सामान्य तबके के लोगों के लिए मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना लागू की थी। आदिवासी जिले में सरकार का लक्ष्य था कि इस योजना का लाभ भूमिहीन परिवारों को मिले लेकिन इस योजना में फर्जीवाड़े का खेल दिसंबर 2021 से ही पेटलावद तहसील की कई बड़ी पंचायत के नुमाइंदों ने चालू कर दिया था। लेकिन तत्कालीन एसडीएम अनिल राठौड़ को दर्ज करवाई गई आपत्ति के बाद पंचायतों व माफियाओं का खेल रुका था। लेकिन यह खेल फिर से पेटलावद तहसील की कई बड़ी ग्राम पंचायत में चालू हो गया है। और राजस्व के बिना सीमांकन निरीक्षण व  बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति बगैर मनमाने तरीके से पट्टे आवंटित करने का खेल चल रहा है। जिसमें कई शासकीय आबादी मद और शासकीय मदों की भूमि का खेल बदस्तूर जारी है।


ग्राम पंचायतों द्वारा किये जा रहे अपात्रो को पट्टे जारी...

पेटलावद तहसील मे 77 ग्राम पंचायत आती है जिसमें से अधिकतर पंचायतों में लगभग लगभग 

आदिवासी समाज ही निवास करता है। और जनपद पंचायत की ऐसी कई ग्राम पंचायती भी शामिल है जो बड़ी आबादी क्षेत्र में होकर आदिवासी समाज के बाद अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, सामान्य जाति के लोग निवास करते चले आए हैं। और बड़ी जनसंख्या वाली पंचायतों मे शासकीय आबादी मद व शासकीय मद की भूमि सहित निजी भूमि की कीमत करोड़ों में है जिसमें सारंगी, बरवेट, रायपुरिया, करड़ावद, आदि कई ग्राम पंचायतो में शासकीय आबादी मद, की भुमि की आड़ में राजस्व की करोड़ों की शासकीय भूमि पर बाहुबलियों को पट्टे बांटने की गतिविधियां संचालित की जा रही है। जब कि आबादी मद हो या शासकीय मद की भूमि बिना सक्षम अधिकारी के आदेश के पट्टा वितरण नहीं किया जा सकता लेकिन पूरा खेल पंचायत स्तर पर चल रहा है।


सार्वजनिक नोटिस चश्पा हुआ या नहीं जांच का विषय....


देखा जाए तो मुख्यमंत्री भु- अधिकार आवास  योजना में सबसे पहले राजस्व तहसीलदार या नायब तहसीलदार द्वारा सार्वजनिक नोटिस एवं दैनिक समाचार पत्रों में विज्ञप्ति निकालकर तहसील कार्यालय में चश्पा कि जाती है। जिसमें मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता दखल रहित भूमि, आबादी तथा, 

वाजिब उल अर्ज आबादी नियम 12 उप नियम 5 के अंतर्गत आबादी क्षेत्र की भूमि पर आवासीय भूखंड उपलब्ध कराने के बाद योजना को लागू करना था। पंचायत के प्राप्त आवेदनों के आधार पर आपत्ति दर्ज करवाने की भी प्रक्रिया उक्त योजना मे शामिल थी। लेकिन आदिवासी तबके व अन्य निम्न गरीब परिवारों को लाभ नहीं देते हुए कई अन्य बाहुबली व्यक्ति जो करोड़पति होकर सक्षम परिवारों में शामिल है उन लोगों को स्टेट हाईवे सहित अन्य बड़ी जनसंख्या वाली शासकीय आबादी तथा शासकीय मद की जमीन दे दी गई। अगर राजस्व विभाग ईमानदारी से जांच करें तो इन बड़ी जन संख्या वाली पंचायतो पर धारा 248, व धारा 420 का प्रकरण पंजीबद्ध हो सकता है और सरकारी भूमि बाहुबलीयो से मुक्त हो सकती है।

तत्कालीन एसडीएम अनिल राठौड़ ने निरस्त की थी  223 लोगों की फर्जी सुची..

दरअसल मामला ग्राम पंचायत बामनिया से जुड़ा है जिसमें मुख्यमंत्री भूखंड आवासीय योजना प्रकरण में सितंबर 2022 को पंचायत और पटवारी द्वारा उपलब्ध कराई गई 223 लोगों की सूची संलग्न पट्टा अनुमति मामले में खारिज की थी। एसडीएम द्वारा करवाई गई जांच प्रतिवेदन में पाया कि जो सूची तहसील न्यायालय को दी गई थी उस सूची मे शामिल सभी हितग्राही के आवास पूर्व से बने होकर अपात्र की श्रेणी मे शामिल है तथा अपात्र किये  जाने से इनको कोई भी शासकीय भुमि आवंटित नहीं कि जा‌ सकती है। लेकिन मध्य प्रदेश शासन व राजस्व विभाग की बेस कीमती जमीनों का खेल लगातार जारी है।

*सरकारी पट्टो की आड़ में हो रहा खेल

पेटलावद तहसील की अधिकतर ग्राम पंचायतों में 

स्टेट हाईवे के रोड से लगी भूमि  या बड़ी जन संख्या वाली सरकारी भूमि पर भु-माफिया अपना खेल लम्बे समय से करते चले आ रहे थे। लेकिन कुछ हद तक भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों ने यहां रहते माफियाओं पर लगाम कस रखी थी लेकिन माफियाओं ने भी बीच का रास्ता निकालते हुए सरकारी भूमि हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री भूखंड आवास योजना का रास्ता चुना और पंचायत के सहयोग से पात्र व्यक्तियों को इस योजना से बाहर करा कर शासन कि बेस कीमती जमीन का लाभ ले लिया। जबकि सच्चाई यह  है कि इनके पास पुर्व से ही कई आलीशान मकान दुकान कई जगह प्रॉपर्टी गाड़ी वगैरह रही है।

 



 

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