*त्यागी - तपस्वी व्यक्ति के शरीर और मस्तिष्क से निकलने वाली तरंगें मंगलकारी होती है : साध्वीश्री*
*मासखमण तपस्वी के तप अभिनंदन समारोह का हुआ आयोजन*
(मनोज पुरौहित)
पेटलावदl जम्बूद्वीप चारों ओर से समुद्र से घिरा हुआ है, ज़ब तक यहां त्याग -तपस्या और धर्म की मौजूदगी हैं तब तक समुद्र का पानी जम्बूद्वीप मे कभी प्रवेश नहीं करता।
जब तक तीर्थंकर भगवान, लब्धिधारी मुनि और तपस्वी यहां रहेंगे तब तक यह सृष्टि भी सुरक्षित रहेगी। त्यागी-तपस्वी व्यक्ति के शरीर और मस्तिष्क से निकलने वाली तरंगें मंगलकारी होती है, वह अशुभ तरंगों का शमन कर देती है।
तप एक सुरक्षा कवच है।तपस्या भी जिनशासन की प्रभावना का एक बड़ा माध्यम बनती है
उक्त आशय के उद्गार श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के 11 वे अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी की विदुषी सुशिष्या साध्वीश्री उर्मिलाकुमारीजी ने सुहानी पीयूष कोठारी के मासखमण (29 उपवास) संपन्नता पर आयोजित तप अभिनंदन समारोह मे तेरापंथ भवन मे व्यक्त किए
अपने आगे कहा कि कभी-कभी निमित्त मिलने से व्यक्ति की सोई हुई क्षमताएं जाग जाती है।
हम परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमणजी के श्रीचरणों में नतमस्तक हैं, उनकी कृपा और आशीर्वाद से तथा स्वयं सुहानी के मनोबल और परिवार के योग से ऐसी बड़ी तपस्याएं सफल होती है।
आपने ऐतिहासिक प्रसंग का उल्लेख करते हुए तपस्या के प्रभाव से 12 वर्षों तक देव प्रकोप से द्वारिका नगरी की सुरक्षा से संबंधित घटना प्रसंग का उल्लेख किया।
साध्वी श्री मृदुलयशाजी ने श्रद्धेय साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी से प्राप्त संदेश का वाचन करते हुए उनके प्रति विनम्र कृतज्ञता व्यक्त की। साध्वीवृंद ने सामूहिक रूप से सुमधुर गीत को प्रस्तुति दी।
इसअवसर पर तेरापंथी सभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुनील भांगु, तेरापंथ महिला मंडल द्वारा सामूहिक गीत, कोठारी परिवार की बहिनो द्वारा गीत, तेरापंथ युवक परिषद कोषाध्यक्ष वैभव मौन्नत, महिला मंडल से प्रतिज्ञा मौन्नत, निर्मलादेवी पटवा, हेमलता जैन, पीयूष कोठारी, फूलचंद कांसवा आदि ने तप अनुमोदना में अपने भावो को अभिव्यक्ति दी।
कार्यक्रम संचालन तेरापंथी सभा के मंत्री राजेश वोरा ने किया। तेरापंथी सभा द्वारा अभिनंदन पत्र और परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी का आकर्षक चित्र भेंट कर तपस्विनी बहन को सम्मानित किया गया।
उक्त अवसर पर स्थानीय व आसपास के चौखले से पधारें विभिन्न श्रावक श्राविकाओं ने तप अनुमोदना में त्याग- तपस्या के संकल्प ग्रहण किए।