*सांसों की सीमा निश्चित है, लेकिन इच्छाओं का कोई अंत नहीं - साध्वी श्री उर्मिलाकुमारीजी*
(मनोज पुरौहित)
पेटलावद| इंद्रियों और अहंकार पर नियंत्रण के अभाव में दुर्घटनाएं भी घटित हो जाती है। सांसों की सीमा निश्चित है, लेकिन इच्छाओं का कोई अंत नहीं। संतोष के बिना शांति को प्राप्त नहीं किया जा सकता।
तपस्या रूपी वृक्ष की जड़ संतोष है, जिसके पास तपस्या रूपी कल वृक्ष होता है उसकी सारी कामनाएं पूरी हो जाती है। उसे सब कुछ मिल सकता है।
उक्त आशय के उदगार श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के 11 वे अनुशास्ता युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की विदुषी सुशिष्या साध्वीश्री उर्मिलाकुमारीजी ने पूजा प्रमोद मेहता के मासखमण (31 उपवास) और विमलादेवी अमृतलाल वोरा के धर्मचक्र की तपस्या की संपन्नता पर तेरापंथ समाज द्वारा आयोजित तप अभिनंदन कार्यक्रम में तेरापंथ भवन में व्यक्त किए।
आपने कहा महान जैनाचार्य आचार्य श्री सोमप्रभसूरिजी के संस्कृत श्लोक का उच्चारण करते हुए कहा कि तपस्या रूपी वृक्ष की जड़ संतोष है। इसका तना उपशम (क्रोध, मान, माया व लोभ को शांत रखना) है।
प्रासंगिक रूप से आपने कहा कि उपशम के अभाव में आज का व्यक्ति लगातार दुखी बनता जा रहा है। तपरूपी वृक्ष इसकी शाखाएं हैं इंद्रिय विजय तथा अपने प्रसन्न रूप से कहा धन की संपदा की अपेक्षा से संयम की संपदा श्रेष्ठ होती है।जिसके पास संयम रूपी संपदा होती है,वह शांति को उपलब्ध हो सकता है।श्रद्धा रूपी पानी से इस तपस्या रूपी वृक्ष का सिंचन करना चाहिए।इस वृक्ष के पत्र होते है अभय। और इस वृक्ष का फल होता है मोक्ष।
अपने कहा कि दोनों बहनों ने साहस और मनोबल का परिचय देकर तपस्या को संपन्न किया है। अपने श्रद्धा बल,गुरु बल और संकल्प बल के आधार पर तपस्या संपन्न की है।
साध्वी श्री मृदुलयशाजी ने साध्वी साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी से प्राप्त संदेश का वाचन किया और कहां कि तीर्थंकर वाणी में कहा गया है कि धर्म उत्कृष्ट मंगल है। अहिंसा, संयम और तप इसके रूप है। देवता भी उसे नमस्कार करते हैं जिसका मन सदैव धर्म में रमा रहता है।
इस अवसर पर साध्वी श्री ऋतुयशाजी, तेरापंथी सभा के अध्यक्ष मनोज गादिया, कन्या मंडल, मेहता परिवार, महिला मंडल अध्यक्ष अनिता भंडारी, युवक परिषद अध्यक्ष अभिषेक पटवा , किशोर मंडल संयोजक तन्मय गादियां, जय ट्रस्ट व तुलसी बाल विकास समिति अध्यक्ष पारस गादिया तेरापंथी महासभा के संघ समन्वयक दिलीप भंडारी अपने भावों द्वारा तपस्या की अनुमोदना की।
तेरापंथ समाज की ओर से परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमण का सुंदर चित्र और अभिनंदन पत्र व साहित्य भेंट कर दोनों तपस्वी बहनों का सम्मान किया गया।तेरापंथी महासभा की ओर से भी साहित्य भेट किया गया। तेरापंथ महिला मंडल की ओर से भी तपस्विनी बहनों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन तेरापंथी सभा के मंत्री राजेश वोरा ने किया।
तपस्या का अभिनंदन तपस्या से हो -
तप अभिनंदन कार्यक्रम मे साध्वीश्री की विशेष प्रेरणा रही कि तपस्या का अभिनंदन तप के संकल्प से हो।उपस्थित परिषद में अनेकों व्यक्तियों ने अलग-अलग आठ उपवास,तीन उपवास, बेला बेला, तेला,पंचोला,एक माह तक एकासन,आजीवन जमीकंद का त्याग, स्वाध्याय सामायिक आदि आध्यात्मिक संकल्प लेकर तपस्या का अभिनंदन किया गया।